ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में नियमों को दरकिनार भर्ती किए गए 58 कर्मचारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने एक कर्मचारी को इस मामले में नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। साथ ही, इस मामले की सारी रिपोर्ट प्राधिकरण ने शासन को भेजने की तैयारी पूरी कर ली है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में 2002 में 58 कर्मचारियों/ अधिकारियों को नियमों की अनदेखी कर भर्ती किया गया था। सबसे पहले यह मामला तत्कालीन विधायक नवाब सिंह नागर ने उठाया था। इसके बाद इस मामले की जांच तत्कालीन सीईओ ने की थी। इन नियुक्तियों को अवैध बताया था। हालांकि, इस पर कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद विधानसभा की आश्वासन समिति ने इस मामले की जांच की।
इस जांच समिति ने भी इन नियुुक्तियों को अवैध माना था। जुलाई में शासन ने इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से कार्रवाई करके रिपोर्ट मांगी। लेकिन केंद्रीय नियमावली लागू होने से प्राधिकरण केवल चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को ही हटाने का अधिकार है। शासन ने इन कर्मचारियों की रिपोर्ट तलब कर ली। अब प्राधिकरण सभी की रिपोर्ट तैयार करके शासन को भेजने की तैयारी कर रहा है।
इस कार्रवाई की जद में प्राधिकरण के दफ्तरी शीतला प्रसाद भी आ गए हैं। प्राधिकरण ने उनको नोटिस जारी किया है। उनका जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्राधिकरण में एक ही कर्मचारी है, जिसको सीईओ को हटाने का अधिकार है। बाकी के लिए शासन को सिफारिश करेंगे।
प्राधिकरण में की गई नियुक्तियों में कई तरह की खामियां हैं। आरोप है कि जाति प्रमाणपत्र दूसरे राज्यों के लगा दिए जबकि ये प्रमाणपत्र उसी राज्य में लागू होते हैं। कुछ ऐसी नियुक्तियां हो गईं, जिन्हें संविदा से स्थायी कर दिया। कुछ लोगों पर आरोप है कि उनकी डिग्रियां फर्जी लगा दी गईं।