केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक फैसले ने पंजाब की सियासत को गर्मा दिया है. एक बेहद अहम घटनाक्रम के चलते गृह मंत्रालय ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह रजोआना की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया. पंजाब से आतंकवाद का खात्मा करने वाले बेअंत सिंह की हत्या से पूरा देश दहल गया था.
वो 31 अगस्त 1995 का दिन था. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह पंजाब-हरियाणा सचिवालय के बाहर अपनी कार में मौजूद थे. तभी एक खालिस्तानी आतंकी वहां मानवबम बनकर पहुंचा और अपने आप को उड़ा लिया. ये धमाका इतना तेज था कि उसकी गूंज दूर तक सुनाई दी थी. जब धुएं और धूल गुबार हटा को कई लोगों के जिस्म के चीथड़े यहां वहां पड़े थे. हर तरफ खून नजर आ रहा था. इस आत्मघाती हमले में बेअंत सिंह समेत करीब 18 लोगों की मौत हो गई थी.
इस मामले से सरकार सकते में थी. तेजी जांच चल रही थी. सितंबर 1995 में चंडीगढ़ पुलिस ने दिल्ली नंबर की लावारिस एंबेसडर कार बरामद की. उस कार के बाद पुलिस के हाथ कुछ सुराग लगे. जिसके आधार पर पुलिस ने लखविंदर नामक एक शख्स को गिरफ्तार किया. जब उससे पूछताछ की गई तो बीपीएल कंपनी में काम करने वाला एक इंजीनियर गुरमीत सिंह भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
19 फरवरी 1996 को चंडीगढ़ सत्र न्यायलय में तीन NRI भगोड़ों समेत 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई. भगोड़ों में मंजीन्दर ग्रेवाल, रेशम सिंह और हरजीत सिंह शामिल थे. इसके बाद 30 अप्रैल 1996 को अदालत में 9 लोगों के खिलाफ वाद दायर किया गया. जिनमें से महाल सिंह, वधवा सिंह और जगरूप सिंह को फरार घोषित किया गया था.
22 जून 2004 को जेल में एक भागने की साजिश रची गई. वहां से भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुआ. खालिस्तानी आतंकियों की साजिश कुछ हद तक सफल भी हुई. 9 में से 3 आरोपी भागने में कामयाब हो गए. हालांकि बाकी को पुलिस ने पकड़ लिया.
8 जून 2005 को दिल्ली के एक सिनेमाघर में विस्फोट हुआ. उस मामले में जब आरोपियों की धरपकड़ हुई तो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जगतारा सिंह को धर दबोचा था.
27 जुलाई 2007 को अदालत ने 6 आरोपियों बलवंत सिंह, जगतारा सिंह, गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह, शमशेर सिंह और नसीब सिंह को दोषी करार दिया था. जबकि एक आरोपी नवजोत सिंह को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था.
31 जुलाई 2007 को दोषी करार दिए गए बलवंत सिंह और जगतारा सिंह हवारा को कोर्ट ने सजा-ए-मौत सुनाई. जबकि गुरमीत सिंह, लखविंदर सिंह और शमशेर को उम्रकैद की सजा दी गई. हालांकि एक दोषी नसीब सिंह को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई.
12 अक्तूबर 2010 को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने जगतारा की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया. लेकिन बलवंत सिंह की सजा-ए-मौत को बरकरार रखा. अन्य तीनों आरोपियों शमशेर, गुरमीत और लखविंदर की उम्रकैद की सजा भी हाई कोर्ट ने बरकरार रखी.
6 जनवरी 2014 को इंटरपोल की मदद से भारतयी एजेंसियों ने बेअंत हत्या कांड के एक भगोड़े को भी थाईलैंड से गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में पहले से गिरफ्तार जगतारा आतंकी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) और बब्बर खालसा का सदस्य था.