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डेंगू मच्छर के आगे सिस्टम ऑल आउट

जयपुर. शहर में डेंगू के मरीजों से अस्पताल फुल हो चुके हैं। हर रोज करीब 100 से 150 नए मरीज आ रहे हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार विभाग बीमारी पर काबू पाने की जगह एकदूसरे पर निशाना साधने में लगे हैं। नगर निगम कहता है- घरों में जाकर सर्वे करना और लार्वा की पहचान कर उसे नष्ट करने का काम सीएमएचओ का है। पायरेथ्रम फोकल मशीन से घरों में केवल सीएमएचओ की टीम ही स्प्रे कर सकती है। यह काम निगम का नहीं है। जिन घरों में लार्वा पाया जाता है उसकी लिस्ट बनाकर सीएमएचओ निगम को देता है तो उनका चालान किया जाता है। सीएमएचओ टीम को 105 जगह लार्वा मिला था, जो लिस्ट निगम को भेजी उसके बाद उनके चालान कर दिए हैं।

निगम की स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सोनिया अग्रवाल बोलीं-हम घराें में जाकर न ताे लार्वा की पहचान करते हैं अाैर न ही उसे नष्ट करते हैं। यह काम सीएमएचअाे का है। निगम ने पूरे शहर में फॉगिंग करा दी है। फॉगिंग के लिए 4 बड़ी और 8 छोटी मशीनें हैं। इनसे सुबह-शाम को दो-दो वार्ड में फॅागिंग की जाती है। पूरे शहर में 2 बार फॉगिंग कर दी गई है। एक मशीन से द्रव्यवती नदी और इसके आसपास फॉगिंग होती है। निगम के पास 50 कर्मचारियों हैं, जो फाॅगिंग में लगे हैं। जेके लोन अस्पताल अधीक्षक डॉ.अशोक गुप्ता का कहना है कि यहां पिछले 63 दिन में एडीज मच्छर के काटने से फैलने वाले डेंगू केे 210 केसेज मिल चुके हैं।

डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर निगम सीएमएचओ को जिम्मेदार ठहरा रहा है। इस पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ)जयपुर प्रथम डॉ. नरोत्तम शर्मा का कहना है कि मच्छर मारने का काम निगम का है, हमारा नहीं। डेंगू के पॉजिटिव केस मिलने की सूचना रोजाना नगर निगम को भेजी जाती है। ताकि फॉगिंग करके मच्छरों को बढ़ने से रोका जा सके।

मंगलवार से सीएमएचअो जयपुर प्रथम के अधीन अाने वाले क्षेत्र में ‘डेंगू के खिलाफ विशेष अभियान’ चलाया जा रहा है। जिसके तहत एंटीलार्वा गतिविधि, जागरूकता, पानी में लार्वा मिलने पर टेमीफोस दवा डालने जैसे कार्य किए जाएंगे। अभियान में जीएनएम, एएनएम, स्टूडेंट, अाशा, अांगनबाड़ी कार्यकर्ता का विशेेष सहयोग लिया जाएगा। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि केन्द्र सरकार के नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोगाम (एनवीबीडीसीपी) की गाइडलाइन की पूरी तरह से पालना की जा रही है।

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