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पोषित आहार न मिलने के कारण मुंबई के बच्चों में पोषण की कमी

मुंबई : पोषित आहार न मिलने के कारण मुंबई के बच्चे प्रभा‌वित हो रहे हैं। नतीजतन उनका वजन सामान्य से कम है, यही नहीं इसके कारण उन्हें कई तरह की बीमारियां भी हो रही हैं। प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, आंगनवाड़ी के 17 प्रतिशत बच्चे और बीएमसी स्कूल में पढ़ने वाले 3 प्रतिशत बच्चों का वजन सामान्य से कम है।
RTI के जरिए बीएमसी और ‘इंटिग्रेटेड चाइल्ड डिविलेपमेंट सर्विस’ (ICDS) से प्रजा को मिले जवाब के अनुसार, 2018-19 में आंगनवाड़ी के 2.86 लाख बच्चों की जांच की गई, इसमें से 48,849 यानी 17 प्रतिशत बच्चों में पोषण की कमी मिली। वहीं, बीएमसी स्कूल में पढ़ने वाले 2.26 लाख बच्चों की जांच की गई, जिसमें से 7,383 बच्चों का वजन उनकी उम्र के अनुसार, कम पाया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, पोषित आहार की कमी से न केवल बच्चों का वजन कम होता है, बल्कि इससे उन्हें कई तरह की शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
प्रजा ने दावा किया कि 2018-19 के बीएमसी बजट के दौरान कमिश्नर ने बीएमसी स्कूल के बच्चों को ‘सप्लीमेंटरी न्यूट्रीशन’ देने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। हालांकि स्कूल में इसे सप्लाई करने के लिए बीएमसी को कोई ठेकेदार नहीं मिला, नतीजतन, अब तक इसका एक भी पैसा खर्च नहीं किया जा सका है। प्रजा के योगेश मिश्र ने कहा कि मुंबई के बच्चों में पोषण की कमी एक गंभीर समस्या है। पिछले तीन सालों से कमोबेश यथास्थिति बनी हुई है। 2018-19 में जहां 17 प्रतिशत बच्चों में कम वजन की शिकायत रही, वहीं इस दौरान 2 हजार से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कम वजन का शिकार पाए गए। बता दें कि इस बारे में जब एनबीटी ने बीएमसी शिक्षा ‌विभाग से बात की, तो संबंधित अधिकारियों ने कहा कि यह स्वास्थ्य विभाग के तहत आता है।
प्रजा फाउंडेशन के संस्थापक निताई मेहता ने कहा कि पोषण की कमी के कारण 2017 में 32 लोगों की मौत हुई थी, जिनकी उम्र 0-19 के बीच थी। ताज्जुब की बात यह है कि बच्चों में पोषण की कमी होने के बावजूद इसको लेकर कोई गंभीर नहीं है। 2018-19 में बीएमसी में इस मुद्दे पर केवल 4 प्रश्न ही पूछे गए।

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