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मुंबई : मालाड में भी फूट सकता है, गिरगांव का गुस्सा!

मुंबई : मुंबई को ‘मेट्रो शहर’ बनाने का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है। मुंबईकरों के सफर को सुगम बनाने के लिए विभिन्न इलाकों में जो मेट्रो का काम चल रहा है, वह सराहनीय है। मुंबई की बढ़ती जनसंख्या के आधार पर जिस मेट्रो को करीब दो दशक पहले ही शहर में कदम रख देना चाहिए था, उस मेट्रो के निर्माण कार्य ने विगत ३ सालों में अच्छी-खासी रफ्तार जरूर पकड़ ली है। खैर! ‘देर आए दुरुस्त आए’ ही सही पूरे महानगर में मेट्रो का निर्माण शुरू तो हुआ। परंतु जिस तरह से मेट्रो निर्माण कार्य के दौरान निर्माता कंपनी लापरवाही बरत रही है, वह मुंबईकरों को काफी परेशान करनेवाला है। मेट्रो निर्माण कार्य की साइट पर ट्रैफिक का नियोजन ठीक से नहीं होने के कारण मुंबईकर घंटो ट्रैफिक जाम में फंस जा रहे हैं, जिससे मुंबईकरों में निर्माता कंपनी के प्रति क्रोध बढ़ रहा है।
मेट्रो के निर्माण कार्य के चलते सड़कें संकरी हो गई हैं, पर जिस जगह का कार्य पूर्ण हो चुका है, वहां लापरवाही का आलम यह है कि निर्माता कंपनी और प्रशासन दोनों को ही स्थिति सामान्य करने में कोई रुचि नजर नहीं आती। ऐसे में मुंबईकरों का गुस्सा फूटना स्वाभाविक है। इसकी झलक गत दिनों गिरगांव में स्थानीय लोगों द्वारा मेट्रो प्रशासन पर फूटे गुस्से के रूप में देखा जा सकता है। इस घटना से शायद मेट्रो प्रशासन ने कोई सीख नहीं ली है। ऐसा इसलिए क्योंकि करीब १,००० दिनों से वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर मेट्रो निर्माण का कार्य जारी है। इतने दिनों से यहां की सड़कों से गुजरनेवाले लोगों ने संयम बरत रखा है। अब कहीं किसी दिन इनका संयम टूटा तो स्थिति विकराल रूप धारण कर सकती है। दरअसल, यहां एलिवेटेड मेट्रो के पिलर का काम पूरा हो चुका है परंतु मेट्रो का काम पूरा होने के बावजूद यहां की सर्विस रोड सड़ रही है। यहां अब तक न तो मलबा हटाया गया है और न ही आसपास की गंदगी हटाई गई है। ऐसे में सर्विस रोड की सड़कें कबाड़खाने में तब्दील हो गई हैं। मेट्रो-७ के इस लापरवाही भरे काम से वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे काफी समय से पंगु हो गया है। अगर सर्विस रोड को बनाकर शुरू कर दिया जाता तो ट्रैफिक जाम की समस्या से मुंबईकरों को काफी हद तक निजात मिल जाती।
वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर मेट्रो-७ का निर्माण कार्य करीब ३ साल से चल रहा है। मेट्रो-७ दहिसर (पूर्व) से अंधेरी (पूर्व) को कनेक्ट करता है। इस रूट पर मेट्रो के पिलर का काम तो हो गया है परंतु शून्य नियोजन के कारण सर्विस रोड को अभी तक साफ नहीं किया गया है। यदि सर्विस रोड को साफ कर दिया जाए तो वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे का ट्रैफिक डायवर्ट होने के साथ ही कम हो सकता है। सर्विस रोड पर मौजूद मलबे और गंदगी को दूर करने का काम ठेकेदार का है लेकिन एमएमआरडीए प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह ठेकेदार पर डंडा चलाकर तय समय में सर्विस रोड को यातायात के लिए शुरू करा सके। नियोजन की कमी व एमएमआरडीए की लापरवाही के कारण ऐसा न होने से वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर वाहनों का लोड बढ़ने से हाइवे कांपने लगा है। मेट्रो-७ की मार का असर ये हो रहा है कि १३ किमी का सफर तय करने में ३ घंटे लग रहे हैं।
मालाड-पूर्व हाइवे पठानवाड़ी जंक्शन पर मेट्रो रेल के कई पिलर बनकर तैयार हैं। ठेकेदारों की लापरवाही से सर्विस रोड का मलबा न हटाए जाने से वहां की सड़कें कबाड़खाने में तब्दील हो गई हैं, जो कि यहां होनेवाले जाम की मुख्य वजह है। मालाड-पूर्व पठानवाड़ी जंक्शन से पिलर नंबर ५२ से शांताराम तालाब तक पिलर नंबर ६५ का काम पूरा हुए कई महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक यहां का सर्विस रोड बंद रखा गया है, जिससे यातायात में काफी परेशानी हो रही है। यही हाल जोगेश्वरी गुफा रोड सबवे से जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड का है। यहां भी सर्विस रोड शुरू कर देने से छोटी गाड़ियां या ऑटो-स्कूटर आसानी से चल सकते हैं। इसी तरह का नजारा बोरीवली-पूर्व के कार्टर रोड नं. ५ जंक्शन पर भी देखने को मिलता है। यहां टाटा पावर हाउस से लेकर कुलुपवाड़ी जंक्शन तथा नेशनल पार्क के बीच सर्विस रोड बंद होने से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। इस मामले में एमएमआरडीए के अधिकारी दिलीप कवटकर से संपर्क किया तो उन्होंने जनसंपर्क अधिकारी सुचिता कदम से बात करने को कहा। सुचिता ने अमोल का नंबर दिया। अमोल ने इंजीनियर अंसारी से संपर्क करने को कहा। अंसारी ने अपना नाम छुपाते हुए सुरेश लोकरे से संपर्क करने को कहा। बाद में लोकरे ने बताया कि वहां अदानी का काम चल रहा है। फिर किसी सविता मैडम का नंबर दिया गया। सविता ने आश्वासन दिया कि मैं चीफ इंजीनियर भोसले से बातकर वहां का मलबा हटाने का प्रयास करूंगी। इस तरह एमएमआरडीए के अधिकारी अपनी लापरवाही छिपाने से बचते रहे।

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