भाइंदर : मीरा-भाइंदर महानगरपालिका में वर्ष २००१ से पूर्व सफाई कर्मचारी के रूप में नियुक्त हुए कामगारों में से १३ कर्मचारी सेवानिवृत्त और मृत हो चुके हैं। उनकी जगह पर अनुकंपा अधिकार के तहत विगत ३ वर्षों से उनके वारिसदारों को मनपा सेवा में नहीं भर्ती किया गया है। वहीं वर्ष २००१ के बाद मनपा सेवा में भर्ती हुए कामगारों को वारिस अधिकार अब तक लागू ही नहीं किया गया है। इसके लिए मीरा-भाइंदर कामगार सेना ने लेखनी बंद आंदोलन की चेतावनी दी है। २८ फरवरी, २००२ में मीरा-भाइंदर महानगरपालिका अस्तित्व में आई थी। उससे पूर्व नगरपालिका प्रशासन ने ठेके पर नियुक्त किए गए कुछ सफाई कामगारों को वर्ष २००० में नगरपालिका सेवा में समाविष्ट कर लिया था। ५३८ ठेका कामगारों को वर्ष २००१ के बाद नगरपालिका सेवा में समाविष्ट कर लिया गया। राज्य सरकार के आदेशानुसार वर्ष २००१ के पूर्व के कर्मचारियों को अनुकंपा के आधार पर वारिस हक लागू किया गया था। वहीं वर्ष २००१ के बाद मनपा सेवा में भर्ती हुए कामगारों को वारिस हक लागू नहीं करने के राज्य सरकार के आदेश के कारण ५३८ कामगार इस हक से वंचित हैं।
२००१ से पूर्व भर्ती हुए १३ कामगार सेवानिवृत्त और मृत हो चुके हैं। जबकि वर्ष २००१ के बाद मनपा सेवा में भर्ती हुए कामगारों में से २५ सेवा निवृत्त हो चुके हैं। इन सभी के वारिसदारों को मनपा सेवा में समाविष्ट करने के लिए मीरा-भाइंदर मनपा कामगार सेना लेखनी बंद आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
बता दें कि वारिस हक का लाभ लागू होनेवाले १३ कामगारों को अनुकंपा के तहत मनपा सेवा में भर्ती करने का आदेश एक वर्ष पूर्व ही मनपा आयुक्त बालाजी खतगावकर ने दे दिया था। इसके बावजूद संबंधित फाइल को लालफीताशाही में अटकाकर रखने का आरोप कामगार सेना ने लगाया है।