मुंबई : ठाकरे सरकार में उप मुख्यमंत्री पद को लेकर एनसीपी और कांग्रेस में ठनी हुई है। एनसीपी की अंदरूनी राजनीति के चलते यह उप मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस की झोली में जा सकता है और कांग्रेस के बालासाहेब थोराट राज्य के नए उप मुख्यमंत्री हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि एनसीपी कांग्रेस को उप मुख्यमंत्री का पद देकर बदले में विधानसभा अध्यक्ष का पद ले सकती है। इस बात के संकेत तब मिले जब गुरुवार को महाविकास आघाडी ने राज्यपाल से आग्रह करके एनसीपी के वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटील को विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करवा दिया। सरकार गठन से पहले बीजेपी ने इस पद पर अपने विधायक कालीदास कोलंबकर को नियुक्त कराया था। दूसरा संकेत तब मिला जब महाराष्ट्र विधानसभा में 30 नवंबर के कामकाज की सूची एनबीटी को मिली। इसमें महाराष्ट्र विधानसभा नियम 23 के तहत विश्वासमत प्रस्ताव को जो नोटिस दिया है, उसमें शिवसेना के सुनील प्रभु, एनसीपी के धनंजय मुंडे और कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण के नाम हैं। कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के नाम ही विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए लिए आगे चल रहे थे।
दोनों पार्टियों में उप मुख्यमंत्री पद को लेकर क्या कुछ चल रहा है, इसका एक संकेत गुरुवार को तब मिला, जब एनसीपी नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद कांग्रेस को दिए जाने की खबरों के बीच कहा, उप मुख्यमंत्री पद तो एनसीपी को ही मिलना ही चाहिए। यही तय हुआ है। दो दिन पहले एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी यही घोषणा की थी कि मुख्यमंत्री पद पांच साल कांग्रेस के पास, उप मुख्यमंत्री पद पांच साल एनसीपी के पास और विधानसभा अध्यक्ष का पद पांच साल कांग्रेस के पास रहेगा। बता दें कि अजित पवार खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। लेकिन उनकी बगावत के बाद उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाने को लेकर एनसीपी में दो राय हो गई है। इसलिए एनसीपी इस विवाद को टालने के लिए उप मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस को देकर विधानसभा अध्यक्ष का पद लेना चाहती है। उधर कांग्रेस में भी कुछ नेता शुरू से ही यह चाहते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष का पद एनसीपी को देकर उसके बदले में दो मंत्री पद ले लिए जाएं। अगर विधानसभा का अध्यक्ष पद एनसीपी ने लिया, तो कांग्रेस में मंत्री पद के लिए किसकी लॉटरी लगेगी, यह एक बड़ा सवाल है। बुधवार को कांग्रेस ने तमाम वरिष्ठ नेताओं को पीछे कर अपेक्षाकृत कम वरिष्ठ नेता नितिन राउत को शपथ दिलाई है।
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज मराठा नेता अशोक चव्हाण राज्य की नई गठबंधन सरकार में शपथ लेने की तैयारी किए बैठे थे। उनके कई समर्थक भी मुंबई आ गए थे, लेकिन ऐन मौके पर उनका पत्ता काट दिया और उनके घोर विरोधी नितिन राउत का नंबर लग गया। अशोक चव्हाण जब अध्यक्ष थे, तो उन्होंने नितिन राउत को पार्टी से निकालने तक की सिफारिश कर दी थी, क्योंकि राउत के एक समर्थक ने चव्हाण पर नागपुर में स्याही फेंक दी थी। लेकिन अब राउत मंत्री हैं और अशोक चव्हाण किनारे हैं। महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रभारी मल्लिकार्जुन खडगे भी चव्हाण के विरोधी हैं। अशोक चव्हाण को मंत्री न बनने देने के लिए उन्होंने ऐसा अस्त्र चला कि अशोक चव्हाण के साथ दूसरे कांग्रेसी मराठा नेता पृथ्वीराज चव्हाण भी मंत्री पद की शपथ नहीं ले पाए। खडगे ने दांव खेला कि पूर्व मुख्यमंत्रियों का मंत्री बनना ठीक नहीं। इसलिए पृथ्वीराज चव्हाण भी मंत्री नहीं बन पाए। अब ताजा समीकरणों से दोनों की इच्छाएं फिर हरी हो रही हैं।