मुंबई : संकट से उबरने की कोशिश में लगी बेस्ट परिवहन को पिछले चार वर्षों से लगातार नुकसान हो रहा है। कर्मचारियों की कमी, मुंबई में हो रहे मेट्रो और अन्य काम के कारण ट्रैफिक और बसों की कमी से बेस्ट की चाल लगातार धीमी पड़ती जा रही है। चार वर्ष पहले बेस्ट की रोजाना 59 हजार सर्विस चलती थीं, जो अब घटकर 43 हजार रह गई है। 16 हजार सर्विस घट जाने का भुगतान बेस्ट परिवहन को आर्थिक नुकसान के रूप में उठाना पड़ रहा है। यह आर्थिक नुकसान 3 प्रतिशत से 11 प्रतिशत पहुंच गया है। हाल ही में बेस्ट परिवहन के किरायों में भारी कटौती की गई। इस फैसले के बाद यात्री तो बढ़े हैं, लेकिन बसों की कमी खटक रही है। अभी भी कई बस स्टॉप पर आधे घंटे के अंतराल तक बसें नहीं मिलती हैं। बेस्ट की बसों से जब यात्रियों का मोह भंग हो रहा था, तब प्रशासन ने मुंबईकरों को आकर्षित करने के लिए वातानुकूलित सेवाएं भी चलाई थीं। लेकिन प्रशासन की ही लापरवाही और रखरखाव की कमी से ये बसें बेस्ट के लिए गले की घंटी बन गई थीं। बहरहाल, अब बेस्ट के बेड़े में दोबारा एसी बसें शामिल हो रही हैं और अब लोगों का अच्छा प्रतिसाद भी मिल रहा है। हालांकि, यह भी बताया जा रहा है कि वातानुकूलित सेवाओं के कारण ही बेस्ट को घाटा हुआ था। पिछले चार वर्षों से बेस्ट की प्रत्येक बस की सेवा में प्रति किमी होने वाली कमाई में भी कमी आई है। 2015-16 के मुकाबले बेस्ट की बसों से अब प्रति किमी 23 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है, जो पहले 9.55 था। इसमें से 12 प्रतिशत नुकसान कर्मचारियों की कमी, तो 11 प्रतिशत नुकसान ट्रैफिक के कारण हो रहा है। 2015-16 में रोजाना 59,063 सेवाएं प्रतिदिन चलती थीं। इनसे रोजाना 3 करोड़ 72 लाख रुपये की कमाई हो रही थीं, जो अब घटकर 1 करोड़ 90 लाख रह गई है। 2015-16 में प्रत्येक बस से औसतन 10,753 रुपये की कमाई हो रही थी, यह कमाई अब 6,700 रुपये रह गई है।