मुंबई : पीएमसी बैंक घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने मंगलवार देर रात डॉक्टर तृप्ति बने, मुक्ति भाविसी और जगदीश मुखी नामक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। बुधवार को इनमें से तृप्ति और जगदीश को किला कोर्ट में पेश किया गया। दोनों को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 11 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया। मुक्ति ज्यादा बीपी की वजह से अस्पताल में भर्ती है, इसलिए उसको ईओडब्ल्यू किसी और दिन कोर्ट में पेश करेगी। गिरफ्तार तीनों आरोपी बैंक की ऑडिट कमिटी और लोन कमिटी में थे। जांच टीम का कहना है कि इन तीनों आरोपियों ने अपने पदों पर रहते हुए लोन लेने वाले अन्य आरोपियों को फायदा पहुंचाया। हालांकि आरोपियों के वकीलों का कहना है कि वे बैंक में सिर्फ डायरेक्टर थे। इनका बैंक ठगी से कोई लेना देना नहीं है।
इस केस में अब तक 12 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें बैंक के एमडी जॉय थॉमस का नाम प्रमुख है। इसके अलावा एचडीआईएल के डायरेक्टर राकेश और सारंग वधावन भी अरेस्ट हुए हैं। जांच टीम ने अपनी जांच में पाया कि जॉय थॉमस ने बिना कोई रेकॉर्ड मेनटेन किए वधावन को 13 करोड़ रुपये बैंक की तरफ से दे दिए थे।
वाधवान के पीएमसी बैंक में कई अकाउंट थे। आरोप है कि उसने इन खातों से रकम निकालने के लिए बैंक को अलग-अलग मौकों पर 22 चेक दिए। इन चेकों के बदले में वधावन को कैश दे दिया गया, लेकिन इन चेकों को बैंक से क्लियर नहीं करवाया गया। बाद में वाधवान ने 3 करोड़ रुपये तो बैंक को लौटा दिए, लेकिन 10 करोड़ बैंक के हिसाब में फिर भी कम रहे।
इस केस में ईओडब्ल्यू ने सुरजीत सिंह नामक एक अन्य डायरेक्टर को भी पिछले महीने गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि उन्हें एचडीआईएल की तरफ से 25 लाख रुपये कैटरिंग सर्विस के लिए दिए गए। यह हितों का टकराव था। ईओडब्ल्यू ने अपनी जांच में 23 बैंक खातेदारों की शिनाख्त की है, जिन्होंने 7 सितंबर से 19 सितंबर, 2019 के बीच 70 करोड़ रुपये बैंक से निकाले। इन खातेदारों में अधिकतर बैंक कर्मचारी हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि 21 सितंबर को जॉय थॉमस ने रिजर्व बैंक को अपने बैंक में अनियमितताओं से जुड़ा एक पत्र लिखा और 23 सितंबर को रिजर्व बैंक ने बैंक में हर तरह के ट्रांजैक्शन पर रोक लगा दी। उस दिन रकम विदड्रा की लिमिट अधिकतम एक हजार रखी गई, जो अब 50 हजार रुपये तक बढ़ा दी गई है।