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मुंबई : तलाक के बाद पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं

मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने तलाक के बाद व्यभिचारी पत्नी की भरण-पोषण की मांग को नकार दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि व्यभिचारी पत्नी को तलाक के बाद गुजारा भत्ता के लिए पात्र नहीं ठहराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार तलाक के बाद पत्नी गुजारा भत्ता के लिए पात्र होती है, लेकिन पत्नी का व्यभिचार सिद्ध होने के बाद तलाक होने पर गुजारा भत्ता लागू नहीं होता है। ऐसे मामले में अगर पति स्वेच्छा से गुजारा भत्ता देना चाहता है, तो वह दे सकता है। अगर उस गुजारा भत्ता का पत्नी विरोध करती है, तो पति उसे देने से नकार भी सकता है। इसके बाद हाई कोर्ट ने सांगली जिला न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए महिला की गुजारा भत्ता की अपील खारिज कर दी।
इस मामले में दोनों का विवाह 6 मई 1980 को हुआ था। विवाह के 20वर्ष के बाद सांगली पारिवारिक न्यायालय ने 27 अप्रैल 2000 को तलाक हो गया। इसमें पति ने पत्नी पर व्यभिचारी होने का आरोप लगाते हुए तलाक की अर्जी लगाई थी। सुनवाई के दौरान पति द्वारा लगाए गए आरोप को सिद्ध होने के बाद न्यायालय ने तलाक के अर्जी को मंजूर कर दिया। इसके बाद न्यायालय ने पति को हर महीने पत्नी के लिए 150 रुपये और लड़के के लिए 25 रुपये को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया। यह भत्ता कम था, इसलिए पत्नी ने न्यायालय से गुजारा भत्ता बढ़ाने की मांग की, जिसे 2010 में स्वीकार कर लिया गया और न्यायालय ने पत्नी के लिए 500 और पुत्र के लिए 400 रुपये देने का निर्देश दिया। जिला न्यायालय के फैसले के खिलाफ पति ने पुनर्विचार करने के लिए अर्जी दिया। इस पर सांगली जिला के सत्र न्यायालय ने पति की अर्जी को मंजूर करते हुए गुजारा भत्ता को रद्द कर दिया। इसको पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। दोनों पक्षों की तरफ से दलीलें दी गईं। पत्नी ने अपनी याचिका में दावा किया कि तलाक के बाद गुजारा भत्ता पाना महिला का कानूनी अधिकार है। इस पर पति की तरफ से कहा गया कि उसने ही तलाक की अर्जी लगाई थी। उसके द्वारा लगाया गया आरोप न्यायालय में सिद्ध हुआ। इसीलिए पूरे मामले में पति का कोई दोष नहीं है और न्यायालय का निर्णय सही है।

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