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शामली : 3 थप्पड़ 4 कत्ल, इस वजह से हुआ मशहूर भजन गायक के परिवार का खात्मा

शामली : एक थप्पड़ की कीमत कभी किसी को इतनी भारी नहीं चुकानी पड़ी होगी, जितना यूपी के एक मशहूर भजन गायक को चुकानी पड़ी. इस गायक को थप्पड़ मारने वाले के हाथों ना सिर्फ़ अपना पूरा का पूरा परिवार गंवाना पड़ा, बल्कि खुद उसका भी क़त्ल हो गया. नए साल से महज़ एक रोज़ पहले यूपी के शामली शहर में हुई इस वारदात में थप्पड़ तो बेशक एक फ़ौरी वजह साबित हुई, लेकिन इस चार क़त्ल के भयानक मामले की बिहाइंड स्टोरी के तौर पर जो बातें सामने आईं, उसने लोगों को दहला दिया.
यूपी के शामली शहर की पंजाबी कॉलोनी में उलझन का माहौल था. वजह ये कि यहां रहने वाले मशहूर भजन गायक अजय पाठक और उनका पूरा परिवार सुबह से ही किसी को नज़र नहीं आया. वैसे तो उनके घर के दरवाज़े पर ताला लटक रहा था. मगर हैरानी की बात ये थी कि परिवार के सभी के सभी चार लोगों के मोबाइल फोन रहस्यमयी तरीके से स्विच्ड ऑफ हो चुके थे. 42 साल के अजय पाठक अपने मकान की ऊपरी मंज़िल पर अपनी 38 साल बीवी स्नेहलता पाठक और दो बच्चों 15 साल की बेटी वसुंधरा और 10 साल के बेटे भागवत के साथ रहते थे. मकान के ग्राउंड फ्लोर पर उनके बुज़ुर्ग चाचा दर्शन पाठक रहा करते थे. जबकि इसी मोहल्ले में थोड़ी दूरी पर अजय पाठक के भाई अपने परिवार के साथ रहते है. लेकिन किसी को पाठक परिवार के इन चार लोगों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था.
ऐसे में नाते रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों ने आखिरकार हिम्मत कर के पाठक परिवार के बंद मकान के अंदर झांकने का फैसला कर लिया. मकान के मेन गेट के साथ बना छोटा सा गेट तो खुला था लेकिन ऊपर के मंज़िल में जहां अजय पाठक रहते थे वहां बाहर से ताला लगा हुआ था. फिक्रमंद मोहल्लेवालों ने दोपहर होते होते ये ताला तोड़ दिया और जैसे ही अंदर दाखिल हुए. घर का मंज़र देखकर सबकी रुह कांप उठी. अजय पाठक और उनकी बीवी स्नेहलता की खून से सनी लाश उनके बेडरूम पर पड़ी थी. जिस पर तलवार और तेज़ धार चाकू से हमला किए जाने के अनगिनत निशान थे. जबकि बच्चों के कमरे में भी खून की धार ज़रूर थी लेकिन ना तो वहां वसुंधरा थी और ना ही भागवत. लोगों ने अब दूसरे कमरों का रुख किया और ग्राउंड फ्लोर पर बने एक कमरे में उन्हें एक और भयानक तस्वीर नज़र आई. यहां वसुंधरा की कंबल से ढंकी लाश पड़ी थी. उसे भी कातिल ने वैसी ही दर्दनाक मौत दी थी. जबकि 10 साल के बेटे भागवत का कोई अता पता नहीं था. देखते ही देखते एक परिवार में तीन क़त्ल और सबसे छोटे बेटे की गुमशुदगी की इस वारदात की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई. और पूरा का पूरा पुलिस अमला खोजी कुत्तों, फॉरेंसिक एक्सपर्ट और क्राइम टीम के साथ मौका-ए-वारदात पर जा पहुंचा था. पुलिस ने मामले की संजीदगी को देखते हुए फौरन चार टीमें बनाईं और तफ्तीश शुरू कर दी. पुलिस का ध्यान सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन के सर्विलांस, पाठक परिवार के नज़दीकी लोगों और दुश्मनों पर था. इसी कोशिश में पुलिस की नज़र एक अजीब सी चीज़ पर पड़ी. पुलिस ने देखा कि अजय पाठक की फोर्ड इको स्पोर्टस कार भी उनके घर के सामने से गायब है. अजय पाठक के पास तीन कारें थीं. एक इनोवा, दूसरी टवेरा और तीसरी फोर्ड इको स्पोर्टस. कातिल उसी तीसरी कार के साथ गायब हो चुका था. तो क्या फोर्ड इको स्पोर्टस कार के साथ कातिल का फरार होना महज़ एक इत्तेफाक था या फिर इसके पीछे कोई सोची समझी साज़िश थी. तो पुलिस ने जब इस बात की पड़ताल की तो उसका दिमाग घूम गया. अजय पाठक के पास मौजूद तीन कारों में एक फोर्ड इको स्पोर्ट्स ही थी, जिसमें जीपीएस नहीं लगा था. जबकि बाकी कि दोनों गाड़ियों में जीपीएस था. तो क्या कातिल जानबूझकर बिना जीपीएस वाली कार लेकर भागा जिससे उसे ट्रैक करना मुश्किल हो. अगर यही सच था तो इसका मतलब ये हुआ कि कातिल जो भी है वो पाठक परिवार का बेहद करीबी था.
एक सवाल ये भी था कि क्या कातिल पाठक परिवार के मासूम बेटे भागवत को अपने साथ ही अगवा कर ले गया या फिर उसकी भी जान ले ली. ऐसे कई सवाल थे. लेकिन जवाब एक भी नहीं. पुलिस के मुताबिक अजय पाठक अपने परिवार के साथ अगली सुबह करनाल जाने वाले थे. इसलिए उनके चाचा और रिश्तेदारों को मकान में ताला देखकर लगा कि अजय अपने पूरे परिवार के साथ करनाल के लिए निकल चुके हैं. मगर बेचैनी तो तब बढ़ी जब उनके परिवार के सभी लोगों का मोबाइल फोन स्विच्ड ऑफ आने लगा. इसी बेचैनी ने उनके रिश्तेदारों और मोहल्ले के लोगों को घर का ताला तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया और फिर जो उन्होंने जो कुछ देखा, उस पर यकीन करना मुश्किल था. ग़ायब फोर्ड इको स्पोर्ट्स कार की शक्ल में पुलिस को इस क़त्ल का एक सुराग मिल चुका था. पुलिस ने फौरन इस कार के नंबर को ना सिर्फ आसपास के ज़िलों बल्कि आसपास के राज्यों में भी फ्लैश कर दिया और देखते ही इंटरसेप्ट करने की गुज़ारिश की.

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