मुंबई, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के अंतर्गत दिंडोशी विधानसभा सीट से महायुति और शिवसेना (शिंदे गुट) के उम्मीदवार संजय निरुपम का चुनाव प्रचार चरम पर है। दिंडोशी के उत्तर भारतीय समाज सहित सभी समुदायों के लोगों ने निरुपम के समर्थन में खुलकर साथ दिया है। निरुपम के राजनीतिक करियर को याद करते हुए समर्थकों का कहना की निरुपम ने कैसे मुंबई में छठ पूजा जैसे महत्वपूर्ण पर्व की सार्वजनिक शुरुआत करवाई, जो उत्तर भारतीय और बिहारीसमाज के लिए विशेष महत्व रखता है। इसी कारण से उत्तर भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा संजय निरुपम को अपना सच्चा प्रतिनिधि मानता है और उनके समर्थन में एकजुट होकर खड़ा है।
अपने भाषणों में संजय निरुपम ने मौजूदा आमदार सुनील प्रभु पर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने प्रभु पर आरोप लगाया कि उनके लंबे कार्यकाल के बावजूद दिंडोशी विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य ठप पड़े हैं। संजय निरुपम ने कहा कि सुनील प्रभु दो बार विधायक और नगरसेवक रहे हैं, लेकिन क्षेत्र में पानी, सड़क, स्वास्थ्य, और यातायात जैसे बुनियादी मुद्दों का समाधान करने में वे पूरी तरह से असफल रहे हैं।
संजय निरुपम ने जनता के सामने यह मुद्दा भी उठाया कि कई डीपी रोड की योजनाएं तो पास की गईं, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। सिर्फ एक रोड ही खोला गया है, वो भी एक बिल्डर की पहल पर, जबकि अन्य छह सड़कें आज भी निर्माण की प्रतीक्षा कर रही हैं। क्षेत्र में यातायात और पानी की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं, और यह सब मौजूदा विधायक की लापरवाही और सुस्ती का परिणाम है।
संजय निरुपम ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान जनता से कहा कि अब समय आ गया है कि ऐसे नेताओं से क्षेत्र को मुक्त कराया जाए, जो केवल दिखावे के विकास का नाटक करते हैं। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे अपने वोट से ऐसे व्यक्ति को विधानसभा भेजें जो वास्तव में क्षेत्र के विकास और जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हो। निरुपम ने दिंडोशी के लोगों को आश्वासन दिया कि वे चुने जाने के बाद क्षेत्र में ठोस विकास योजनाओं को लागू करेंगे, जिनमें यातायात, पानी, स्वास्थ्य, और खेलकूद जैसी बुनियादी सुविधाओं को शामिल किया जाएगा।
एक समर्थक ने मेट्रो दिनांक से बात करते हुए कहा कि संजय निरुपम के चुनाव प्रचार में हर वर्ग का जो समर्थन उन्हें मिल रहा है, उससे साफ है कि दिंडोशी के लोग बदलाव की मांग कर रहे हैं। उत्तर भारतीय समाज से लेकर अन्य समुदायों के लोग अब ऐसे नेता को चुनना चाहते हैं जो उनके मूलभूत अधिकारों और विकास के प्रति गंभीर हो।