मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बीएमसी की महत्वाकांक्षी परियोजना कोस्टल रोड के कार्य को एक बार फिर रोकने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने यह फैसला याचिकाकर्ता, बीएमसी और राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद दिया। बीएमसी के वकील अनिल साखरे ने कोर्ट को बताया कि वर्तमान में प्राथमिक स्तर पर शुरू हुए काम को रोकने पर हर दिन 11 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। राज्य सरकार के वकील मिलिंद साठे ने कहा कि सीआरजेड-एक के तहत आने वाले कोस्टल रोड के अतिसंवेदनशील भाग को सभी आवश्यक अनुमतियां मिली हैं इसलिए याचिकाकर्ता के दावे में तथ्य नहीं है।
सुनवाई के दौरान वरली कोलीवाड़ा नाखवा और वरली मच्छीमार सर्वोदय सहकारी सोसायटी ने अपना पक्ष रखा। इस दौरान प्रियदर्शिनी पार्क से वरली कोलीवाड़ा के दरम्यान 9 किलोमीटर तक कोस्टल रोड परियोजना के कार्य को स्थगित करने की मांग की गई। याचिकाकर्ताओं की मांग का प्रशासन ने विरोध किया और कोर्ट को आश्वस्त किया कि इस परियोजना से समुद्री जीवों को कम से कम हानि हो इसका ध्यान रखा जाएगा।
साथ ही याचिकाकर्ताओं ने जिस भाग को लेकर अपना विरोध जताया है वहां पर परियोजना का मुख्य काम शुरू होने पर स्थानीय मच्छीमारों के संबंध में सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। इसके लिए एक समिति गठित की गई है। यह समिति जल्द ही काम शुरू करेगी। इस पर हाई कोर्ट ने सभी जानकारी के संबंध में 9 अप्रैल तक एक शपथ-पत्र दायर करने का निर्देश दिया।