मुंबई: पांच साल बाद फिर चुनाव आया है, पिछली बार जो वोट लेकर गया था वह फिर वादों की नई फसल लाया है। पिछली बार भी वादे बड़े-बडे थे, लेकिन सब झूठे निकले। यह दास्तान है गोरेगांव की आरे कॉलोनी नंबर-३० में रहने वाले मतदाताओं की, जो वर्षों से पानी की भीषण किल्लत से जूझ रहे हैं। जहां कुएं और बाबड़ी को गर्मी ले सूखा दिया है और पानी के जो वैकल्पिक स्रोत हैं उन्हें आरे प्रशासन सुखाने पर तुला है। आलम यह है कि स्थानीय महिलाएं, पुरूष और बच्चे हंडी-मटके के साथ सड़क पर आकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
स्थानीय निवासी विठ्ठल कोरगांवकर ने बताया कि लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। यहां पीने का पानी तो दूर, कप़डे धोने तक के लिए भी पानी खरीदकर लाना पड़ता है। वह कहते हैं स्थानीय सत्ता पर शिवसेना का राज है।
स्थानीय निवासी शीतला मानेकर बताते हैं, ‘स्थानीय विधायक ने अपने फंड ने यहां नल लगवाया गया है, जो वर्षों से बिना पानी के सूखा पड़ा है। लोगों की जिंदगी एक कुएं पर निर्भर है, वह भी सूख चुका है। लोग पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी जेब से पैसा लगाकर पानी माफियाओं से पानी मंगाकर इस कुएं को भरते हैं और फिर समय-समय पर इस पानी को निकालकर उपयोग में लाते हैं।
मगर, तापमान में बढ़ोतरी की वजह सूख चुके इस कुएं में पानी को बचा पाना महंगा साबित हो रहा है। पानी की दिक्कतों को देखते हुए मानवीयता के नाते स्थानीय तबेला मालिक लोगों को जरूरत के मुताबिक पानी दे रहे हैं। यह पानी दस फीट गहरे एक प्राकृतिक गड्ढे में जमा होते रहता है।
इसी पानी का इस्तेमाल इंसान और जानवर दोनों करते हैं। यहां रहने वालों का आरोप है कि आरे प्रशासन ने पानी के इस एकमात्र स्रोत गड्ढे को भरने का नोटिस भेजा दिया है, जिसको लेकर लोग नाराज है।