मुंबई : तीन साल फुटपाथ पर बिताने और अजनबियों की दया पर पेट भरने को मजबूर बुजुर्ग दंपती को आखिर अपना घर मिल ही गया। उन्हें अपने ही बेटे-बहू ने घर से निकाल दिया था। ब्रजेश सोनी (71) और उनकी पत्नी चमेली देवी (69) को 2007 में बने एक कानून की बदौलत 3 साल बाद न्याय मिल पाया। लेकिन तब तक ब्रजेश बोरीवली रेलवे स्टेशन के एक प्लैटफॉर्म पर और उनकी पत्नी एक शिव मंदिर में बेटी सीमा के साथ अपने दिन गुजारते रहे। इन तीन वर्षों में उन्होंने तमाम सरकारी दफ्तरों में इंसाफ की गुहार लगाई और न्याय मिला मेंटिनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स ऐंड सीनियर सिटीजंस ऐक्ट, 2007 की वजह से। 18 जून को इस बुजुर्ग दंपती को बोरीवली का अपना मकान मिल गया, जहां से अगस्त 2016 में उन्हें धक्के मारकर निकाल दिया गया था। 18 जून को ही उनके बेटे प्रदीप और बहू चांदनी को पुलिस ने अरेस्ट भी कर लिया। मारपीट करता था बेटा
आंखों में आंसू भरकर प्रदीप ने हमारे सहयोगी मुंबई मिरर को बताया, ‘मेरे लिए अब मेरा बेटा मर चुका है। पहले वह बहुत ख्याल रखता था, मुझे नहीं पता था वह ऐसा निकलेगा। पहले उसने बिजली का बिल अपने नाम पर किया फिर वह चाहता था कि मैं चाय की दुकान की सारी कमाई उसे दे दूं। जब हमने मना किया तो वह हमें मारने लगा। वह अकसर मुझे घसीटकर सड़क पर फेंक देता था।’ दुखी होकर चमेलीदेवी ने कहा, ‘हमें उससे कोई मदद नहीं चाहिए, उससे कह दीजिए हमसे दूर रहे।’
यह बुजुर्ग दंपती बोरीवली ईस्ट में कार्टर रोड पर भगवानदीन कुर्मी चाल में रहते थे और यहीं अपनी चाय की दुकान चलाते थे। लेकिन जबसे उन्हें बेटी सीमा के साथ घर से निकाल दिया गया बोरीवली रेलवे स्टेशन का प्लैटफॉर्म नंबर 10 ब्रजेश का ठिकाना बन गया वहीं उनकी पत्नी चमेली देवी पास के शिव मंदिर के बाहर बैठी रहती थीं। कभी-कभी अस्थायी तौर पर उनके रिश्तेदार उन्हें अपने यहां पनाह दे देते थे। इस बीच यह दंपती सीमा के साथ कई सरकारी दफ्तरों में गया। सीमा कहती हैं, ‘हर कोई हमसे अदालत जाने को कह रहा था, हमारे पास खाने तक को पैसे थे नहीं वकील को कहां से देते।’ इसी बीच किसी ने उन्हें बताया कि बांद्रा के जिलाधिकारी के दफ्तर में जाएं जिसे मेंटिनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पैरंट्स ऐंड सीनियर सिटीजंस ऐक्ट, 2007 लागू करने की शक्ति है।
इस मामले में आगे जाकर एसडीओ ने आदेश दिया कि बेटे से घर खाली कराकर पैरेंट्स को कब्जा दिलाया जाए। लेकिन पुलिस ने काफी समय तक मामला लटकाए रखा। जब एसडीओ ने आदेश की एक कॉपी तहसील दफ्तर में भेजी और तहसील के अधिकारी बुजुर्गों के साथ बोरीवली के उनके मकान गए तो वहां बेटे ने अपने पैरंट्स पर हमला कर दिया।
इसके बाद यह बुजुर्ग दंपती आदेश को लागू करवाने के लिए मंत्रालय की शरण में गया। 11 जून को समाज कल्याण मंत्री राजकुमार बडोले ने उनकी अर्जी सुनी और आदेश दिया कि एसडीओ के ऑर्डर पर तुरंत अमल किया जाए। जब अधिकारी इस आदेश की तामील के लिए गए तो बुजुर्ग के बेटे और बहू ने पुलिस के काम में अड़चन डालने की कोशिश की। इस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कस्तूरबा पुलिस स्टेशन के मुताबिक, दोनों को 1 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उन पर सरकारी कर्मचारी के साथ मारपीट करने, सरकारी काम में बाधा डालने समेत आईपीसी की कई धाराओं में केस दर्ज है।
एनजीओ हेल्पेज इंडिया के महाराष्ट्र के डायरेक्टर प्रकाश बोरगांवकर ने बताया, ‘बहुत से बुजुर्गों को इस एक्ट की जानकारी नहीं है। राजस्व विभाग के अधिकारियों को भी नहीं पता कि इस अतिरिक्त जिम्मेदारी को कैसे निभाना है। अगर सरकारी स्तर पर जागरूकता हो तो ज्यादा से ज्यादा बुजुर्गों को न्याय मिल सकता है।’