चौहटन के बावड़ी कलां गांव में बीते बुधवार को एक मां के पांच बेटियों के साथ टांके में कूद कर आत्महत्या के दिल दहलाने वाली मामले को सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। गुरुवार को पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सुपुर्द किए। गांव में एक साथ उठीं छह अर्थियां जब एक साथ मोक्षधाम के लिए रवाना हुईं तो हर आंख से आंसू बह निकले। बड़ी चिता पर पांच बेटियों समेत मां का अंतिम संस्कार किया गया, जिसने भी दर्दनाक मंजर को देखा वह सिहर उठा। हर तरफ चीख-पुकार थी। बेटे की चाह में हार चुकी मां की एक गलती से पलभर में भरा-पूरा परिवार बर्बाद हो गया। इधर, परिवार उजड़ने के बाद से विवाहिता का पति और बूढ़ी सासू मां बेसुध है।
विवाहिता का ससुर जेठ के साथ रहता है। सामाजिक सोच और रूढ़ीवादी मानसिकता की भेंट चढ़े इस परिवार के उजड़ने की खबर के बाद गुरुवार को गांव में चूल्हे तक नहीं जले। हर किसी जुबां पर एक ही सवाल था कि आखिर एक मां ने अपनी ही बेटियों के साथ यह आत्मघाती कदम उठाने की हिम्मत कैसे जुटाई…? आखिर क्या परेशानी थी कि इतना बड़ा कदम उठाने से पहले उसकी आत्मा नहीं कांपी। सवाल बहुत हैं, लेकिन इस घटना ने हर किसी को झकझोर रख दिया है, साथ ही बढ़ती आत्महत्याओं की घटना ने चिंता बढ़ा दी है कि इन्हें कैसे रोका जा सकता है। पुलिस, जिला प्रशासन और समाजों को भी चिंतन करने के लिए मजबूर कर दिया है। गुरुवार को 40 वर्षीय वनू देवी पेी राणाराम ने पांच बेटियों को पानी से भरे टांके में डाल आत्महत्या कर ली।
गुरुवार को विवाहिता के पिता वीरमाराम सारण निवासी धनाणियों का तला ने रिपोर्ट दी, जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द किए। छह शवों की एक साथ अर्थी उठी और बड़ी चिता पर सामूहिक रूप से दाह संस्कार किया गया।