मीरा-भाईंदर : इन दिनों मीरा-भाईंदर की सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। वाहनों के अलावा, पैदल चलने वालों को भी दिक्कत हो रही है। कहीं सड़कों पर गड्ढे हैं, तो कहीं सड़कें अधूरी छोड़ दी गई हैं। जिन सड़कों का काम अधूरा है, उनसे धूल उड़ रही है। इसीलिए चलना ही मुश्किल नहीं हुआ है, सांस लेना भी दूभर हो गया है। दूसरी तरफ, गोल्डन नेस्ट सर्किल से काशिमिरा और दहिसर चेकनाका तक मेट्रो-9 का काम चल रहा है। मेट्रो के बेरिकेट ने सड़कों की 15-20 फीट की जगह को बाधित कर दिया है। नवघर रोड निवासी अवधेश सिंह बताते हैं कि जो दूरी पहले 15 मिनट में तय होती थी, अब 30 मिनट में तय होती है।
भाईंदर (पश्चिम) के निवासी प्रकाश जैन भाईंदर से अंधेरी तक बाइक से सफर करते हैं और रियल इस्टेट के व्यवसाय में हैं। जैन को पीठ दर्द की शिकायत के बाद पूरी तरह से बेड रेस्ट करना पड़ा, जिसका असर उनके व्यवसाय पर भी हुआ। डॉ. शाह का कहना है कि हर्निएशन, प्रोट्रूशन, एक्सट्रूशन पर 2 हजार, 15 हजार और 2 लाख रुपये तक खर्च करना पड़ सकता है।
सड़कों की दयनीय हालत और गड्ढों के कारण लोगों में पीठ दर्द, गर्दन में दर्द, घुटनों में दर्द जैसी शिकायतें बढ़ गई हैं। डॉ. पंकज शाह बताते हैं कि ऐसी सड़कों की वजह से लोगों को हर्निएशन, प्रोट्रूशन, एक्सट्रूशन डिस्क की शिकायत हो सकती है। ऐसे में मरीज को दो दिन से एक महीने तक बेड रेस्ट करना पड़ सकता है। डॉ. शाह बताते हैं कि सड़कों पर उड़ रही धूल के कारण अस्थमा के मरीजों को बहुत परेशानी होती है।
मीरा-भाईंदर में फाटक रोड भाईंदर (पश्चिम), नया नगर, मीरा रोड के रामदेव पार्क जैसी जगहों पर सड़कों के पुनर्निर्माण का काम चल रहा है। पुनर्निर्माण के कारण आधी सड़कों को खोदकर उन पर गिट्टी डाली गई है। अधूरी सड़कों के कारण ट्रैफिक का लोड बढ़ गया है और राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आम सड़कें छोड़िए शहर की खास सड़कें भी बेकार हो चुकी हैं। शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के कार्यालय के पास की सड़क हो या मीरा-भाईंदर की विधायक गीता जैन के कार्यालय के पास की सड़क दोनों की हालत बदतर है। आयुक्त बालाजी खटगांवकर के निवास स्थान के पास की सड़क की हालत मनपा की पोल खोल देती है। आयुक्त से पूछने पर वह जल्द सभी काम पूरा करने की बात कहते हैं, लेकिन कब तक होगा, इसके बारे में कोई भी नहीं बता पा रहा है।