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मुंबई : बसों की कमी ने बढ़ाई बेस्ट की चिंता

मुंबई : शुक्रवार को बृहनमुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई ऐंड ट्रांसपोर्ट (BEST) की बैठक में समिति के सदस्यों के बसों की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की। सदस्यों ने बस ड्राइवर और कंडक्टरों की कमी के कारण सर्विस पर पड़ रहे प्रभाव पर चर्चा की। इस बैठक के दौरान बेस्ट 2200 करोड़ के घाटे वाले बजट पर चर्चा होनी थी। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने बताया कि बसों के देरी से चलने के कारण रोजाना लगभग 2500 घंटे (कुल सर्विस) का घाटा हो रहा है। रिलिवर उपलब्ध नहीं होने के कारण बसें डिपो से देरी से निकलती हैं। बीजेपी के वरिष्ठ सदस्य श्रीकांत कवथंकर ने बताया कि स्टाफ की कमी के कारण सप्ताहांत में बहुत ही बुरी स्थिति हो जाती है। शनिवार और रविवार को 40-60 प्रतिशत स्टाफ को साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है। 2019-20 में बेस्ट प्रशासन द्वारा 4050 बसों का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन अभी 3198 बसें ही सर्विस में हैं। कवथंकर ने बताया कि वेट लीज पर केवल 23 बसें ही अब तक आई हैं, इसके आगे कोई बस आने की संभावना भी कम है।
बेस्ट ने यूनियन के साथ अनुबंध कर 3337 बसों के रखरखाव का भी भरोसा दिया था। लेकिन अब 2020-21 में 896 बसें भंगार हो जाएंगी। इनमें से 726 सिंगल और 72 डबल डेकर बसें हैं। सदस्यों का कहना था कि बेस्ट के अपने बेड़े में बसों की कमी हो रही हैं और नई बसें खरीदने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। इसी बीच बीजेपी के सदस्यों ने बेस्ट की सामान्य बसों का किराया घटाने का स्वागत करते हुए कहा कि वातानुकूलित बसों का किराया बढ़ाया जा सकता है। किराया घटाने के कारण बेस्ट को रोजाना लगभग 77 लाख रुपये का घाटा हो रहा है, जो करीब 250 करोड़ रुपये सालाना होता है। समिति सदस्यों की चर्चा के दौरान बेस्ट महाप्रबंधक सुरेंद्र कुमार बागड़े ने कहा कि उन्हें बेस्ट डिपो में निजी वाहनों की पार्किंग से अब तक 70 लाख रुपये की कमाई हुई है।

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