मुंबई : मुंबई की महत्वाकांक्षी परियोजना कोस्टल रोड के काम को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। इससे राज्य सरकार और बीएमसी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें हाई कोर्ट ने कोस्टल रोड के दक्षिणी हिस्से में सीआरजेड कानून के तहत मिली मंजूरी में खामियों को इंगित करते हुए इसके काम पर रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस शरद बोबडे, जस्टिस भूषण गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि यातायात की समस्या को देखते हुए मुंबई में नया विकल्प समय की जरूरत है। इसीलिए सिर्फ कोस्टल रोड के काम को अनुमति दी जा रही है। परियोजना के पास अन्य कोई विकास कार्य शुरू नहीं करें। अब पीठ इस मामले में अप्रैल 2020 में सुनवाई करेगी। कोस्टल रोड मामले में बीएमसी के साथ-साथ फिशरमेन यूनियन, कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी पक्षकार हैं। मंगलवार को सुनवाई के दौरान पर्यावरणविदों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने परियोजना का विरोध किया। उनका कहना था कि अगर हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाती है तो उससे पर्यावरण को अपूरणीय क्षति होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नरीमन पॉइंट से वर्सोवा तक 14 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 29.2 किमी लंबे कोस्टल रोड का काम शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है। इसके पहले अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने बीएमसी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि इस मामले में दिवाली की छुट्टी के बाद सुनवाई होगी। पहले भी हाईकोर्ट ने कोस्टल रोड के लिए भराव और निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी। तब भी बीएमसी को काम शुरू रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। तब बीएमसी की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना के लिए शुरू हो चुके निर्माण कार्य पर से रोक हटा दी थी।
मुंबई : कोस्टल रोड के काम को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी
