नवी मुंबई : पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद पनवेल क्षेत्र में बिना आव्रजन व वैध दस्तावेज के अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। खास बात यह है कि सख्त नियमों के होते हुए इन बांग्लादेशियों को बहुत आसानी से किराए के कमरे मिल जाते हैं। पता चला है कि बांग्लादेशी प्रवासियों को किराए का कमरा देने वाले मकान मालिकों में से बहुत से पुलिस को इनकी जानकारी तक नहीं देते हैं। इसका असर यह हो रहा है कि समूचे पनवेल और उरण क्षेत्र तक अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। हालांकि पुलिस उसी रफ्तार से इन्हें पकड़ भी रही है। बांग्लादेशी पश्चिम बंगाल के किसी न किसी जिले के तहसील और गांव के स्थानीय निवासी होने के नकली कागजात दिखाकर और बताकर खुद के भारतीय होने का दावा करते हैं।
एक आकलन के अनुसार, पनवेल, उरण, तलोजा और नवी मुंबई को मिलाकर इस समय करीब 10 से 15 हजार बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। इनमें से कई बांग्लादेशी ऐसे भी हैं, जो 5 से 10 साल से भी अधिक समय से यहां छिपकर रह रहे हैं। सूत्रों के अनुसार पनवेल, उरण और नवी मुंबई में अवैध बांग्लादेशी मजदूरी कर रहे हैं। निर्माणाधीन इमारतों, कल-कारखानों, होटलों, ढाबों, लॉजिंग व बोर्डिंग होटलों, सड़क आदि बनाने व खुदाई का काम करने वाले ठेकेदारों के यहां नौकरी करते हैं। अधिकांश मालिकों को पता भी नहीं होता कि ये अवैध बांग्लादेशी हैं। वाशी स्थित थोक कृषि उपज की पांचों मंडियों, शॉपिंग मॉल, दुकानों और बड़े स्टोरों में भी बांग्लादेशी मजदूर मिल जाएंगे। वहीं, महिलाएं होटलों, डांस बारों और घरों में झाड़ू-पोंछा करती हैं। पिछले एक दशक का आकलन करें, तो नवी मुंबई पुलिस आयुक्तालय क्षेत्र में नकली करंसी के मामलों में पकड़े गए अनेक मामलों में कहीं न कहीं अवैध बांग्लादेशी लिप्त पाए गए। इनमें से कुछ मामले तो वाशी स्थित एपीएमसी परिसर में ही उजागर हुए थे।
पनवेल के पास स्थित चिखले गांव में पुलिस ने इनामुल उमर मुल्ला को गिरफ्तार किया था। यह युवक इस गांव में करीब एक दशक से मनोहर पवार नाम से रह रहा था और यहां की एक स्थानीय लड़की से शादी कर घर जमाई बनकर रह रहा था। उसके दो बच्चे भी हो गए थे। वह साल में कुछ दिन के लिए अचानक गायब हो जाता था। इस दौरान वह बांग्लादेश के फरीदपुर क्षेत्र स्थित अपने मूल गांव जाता था। इसी के चलते उसका पर्दाफाश भी हुआ। 23 नवंबर 2019 को गिरफ्तार कर लिया गया। इनामुल उमर मुल्ला के पास से पुलिस को पैनकार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, स्कूल परित्याग प्रमाणपत्र, मतदाता पहचान पत्र, निवास प्रमाणपत्र, उम्र प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज मिले थे। सूत्रों का कहना है कि पैसे देकर एजेंट को इनके सभी नकली कागजात बनवा देते हैं। एक सूत्र ने बताया कि 5 से 7 हजार रुपये में राशन कार्ड और स्कूल की एलसी, 3 से 5 हजार रुपये में पैन कार्ड और आधार कार्ड और लगभग इतने ही रुपये में ड्राइविंग लाइसेंस और अन्य कागजात बन जाते हैं।