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उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाड़ी में नहीं मिली सुनील राउत को तवज्जो, दे सकते हैं इस्तीफा

मुंबई : महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में आखिर महा विकास अघाड़ी का पहला मंत्री मंडल विसात आखिर हो ही गया जिसका महारष्ट्र की जनता कयास लगा रही थी। जहाँ इस मंत्रिमंडल विस्तार में कुल 36 मंत्रियों ने शपथ ली क्रमवार शपथ वही इसमें आदित्य ठाकरे को भी मंत्री पद दिया गया। वहीं ये भी प्रासंगिक था कि शिवसेना के ही तेज़तर्रार और कद्दावर नेता संजय राउत के भाई सुनील राउत की इस कैबिनेट में कोई भी जगह नहीं बनी। आपको बता दें की संजय राउत, शिव सेना के अग्रणी और प्रथम पंक्ति के बड़े नेता माने जाते हैं वहीं पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के वह निकटतम और घनिष्ट मित्रों में से एक है।
विदित हो कि कल सोमवार को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था और एनसीपी नेता अजित पवार ने उद्धव ठाकरे नीत सरकार में उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी । ये भी प्रासंगिक है कि पिछले डेढ़ महीने में दूसरी बार अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।इसके पहले उन्होंने एनसीपी से बगावत करते हुए बीजेपी से हाथ मिला लिया था और 23 नवंबर को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली थी।हालांकि 26 नवंबर को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार तीन दिन में ही गिर गई थी। वही शिवसेना के सबसे कम उम्र के आदित्य ठाकरे को भी कैबिनेट में जगह मिली है। विदित हो की आदित्य ठाकरे, उद्धव ठाकरे के सुपुत्र भी हैं । आदित्य ठाकरे के बारे में माना जा रहा है कि वह पार्टी और सरकार दोनों में ज्यादा अहम भूमिका में नजर आ सकते हैं। राज्य में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में मुंबई की वरली विधानसभा सीट से 29 वर्षीय आदित्य को जबर्दस्त जीत मिली थी। इनके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने भी सोमवार को कैबिनेट मंत्री की शपथ ली। राकांपा नेता और विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वाल्से पाटिल, विधान परिषद में विपक्ष के पूर्व वेता धनंजय मुंडे और विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता विजय वडेट्टीवार ने भी शपथ ली थी।
जहाँ तक सुनील राउत की बात की जाए तो उन्‍होंने पार्टी के प्रचार में कोई भी कमी नहीं छोड़ी थी। महाराष्‍ट्र में चले राजनीतिक द्वन्द के मध्य भी सुनील राउत की पार्टी के प्रति निष्‍ठा और वफादारी पर कोई अंगुली नहीं उठायी गयी थी। इसके बाद भी उन्‍हें मंत्रिपद से वंचित ही रखा गया है । वहीं महा विकास अघाड़ी के इस विस्‍तार के बाद ही सुनील राउत को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी कुछ कहा जा रहा है। यह भी बात उठ रही है ऐसा कृत्य करके शिवसेना ने संजय राउत को भी धोखा दिया गया है, जिसके बाद शायद वो इस्‍तीफा तक दे सकते हैं।
अब देखने योग्य ये बात है कि सुनील राउत क्या रुख अपनाएंगे, लेकिन ये तो साफ़ है क़ि इस महा विकास अघाड़ी के इस मंत्रिमंडल विस्तार में जहाँ सगे-सम्बन्धियों को तवज्जो दी गयी जिसमे आदित्य ठाकरे और अजित पवार का नाम प्रमुख है। हालाँकि संजय राउत कहा कि “वे हमेशा देने वालों में से रहे हैं। पार्टी में हमारा योगदान पहले की ही तरह है और रहेगा। उन्‍होंने ये भी साफ कर दिया कि सुनील की कभी कोई ऐसी मंशा या इच्छा नहीं थी। वहीं संजय राउत का यह भी कहना था कि गठबंधन की सरकार में सभी को कुछ न कुछ देना पड़ता है। वही देखा जाए तो हर पार्टी में काबिल लोग हैं, लेकिन जितना जिसके कोटे में आता है उतना उसे मिल जाता है। ऐसे में जिनको कुछ नहीं मिला उन्‍हें संयंम रखना पड़ेगा ।

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