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बोरीवली में बिना नोटिस, बिना आदेश… मनपा की बुलडोजर तानाशाही!

के. डिवाइन लॉन्स ध्वस्त, हाईकोर्ट में मामला फिर भी तोड़फोड़!

मुंबई । बोरीवली वेस्ट स्थित एक्सर रोड पर बना K. Divine लॉन्स एंड कन्वेंशन हॉल अचानक बीएमसी की तानाशाही का शिकार बन गया। करोड़ों की लागत से बना यह हॉल न केवल इलाके का एक जाना-माना वेडिंग डेस्टिनेशन था, बल्कि वर्षों से लोगों की खुशियों का गवाह भी रहा। लेकिन शनिवार की सुबह सब कुछ बदल गया जब वार्ड ऑफिसर संध्या नांदेडकर ने बिना किसी पूर्व सूचना, बिना किसी लीगल नोटिस और बिना पुलिस सुरक्षा की मांग के इस हॉल को बुलडोजर से रौंद दिया।

सवाल ये उठता है कि क्या बीएमसी का कोई भी काम अब मनमानी से ही होगा? वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक से जब हमारे पत्रकार ने बात की तो उन्होंने साफ बताया कि “हमसे किसी भी प्रकार की सुरक्षा की मांग नहीं की गई थी। फिर भी हमें जब खबर मिली कि डिमोलिशन चल रहा है, तो हमने फौरन पुलिस गाड़ी भेजी ताकि कानून-व्यवस्था न बिगड़े।” इससे साफ जाहिर होता है कि संध्या नांदेडकर ने न केवल क़ानून की धज्जियाँ उड़ाईं बल्कि पुलिस को भी अंधेरे में रखा।

जब पत्रकार ने संध्या नांदेडकर से पूछा कि अगर ये हॉल परमिशन से बना है, और कोई कोर्ट का डिमोलिशन ऑर्डर नहीं है, तो फिर इसे क्यों गिराया गया, तो उनका जवाब था—“मैं अभी कुछ नहीं बताऊंगी। पहले सब तोड़ूंगी, फिर ऑफिस में आइए, बताऊंगी!” यानी पहले कोई भी स्ट्रक्चर तोड़ दो, फिर बताने की नौटंकी करो। बातों में नहीं, उनके लहजे में ही तानाशाही और घमंड झलक रहा था।

बीएमसी का नियम कहता है कि अगर किसी निर्माण को अवैध मानते हैं, तो पहले नोटिस देना अनिवार्य होता है। मगर इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। अगर नोटिस दिया गया होता, तो कम से कम हॉल मालिक लाखों का सामान तो निकाल लेते। लेकिन यहां तो जैसे सुबह होते ही बीएमसी ने मुहूर्त देख कर बुलडोजर मंगवाए, सैकड़ों कर्मचारियों को साथ लाया और सुबह 10 बजे से पहले ही ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया।

इस मामले की खबर मिलते ही पूर्व सांसद और जनसेवक गोपाल शेट्टी मौके पर पहुंचे और बीएमसी अधिकारियों को काफी समझाने की कोशिश की। लेकिन नतीजा? उनका भी अपमान हुआ और तोड़फोड़ जारी रही। यह देखकर गोपाल शेट्टी ने स्पष्ट कहा—“मैं इस कार्रवाई से बेहद दुखी हूं। मैं बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी से मांग करता हूं कि ऐसे अधिकारियों पर तुरंत कार्यवाही हो। नहीं तो बोरीवली की जनता के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करूंगा।”

गौरतलब है कि हॉल के मालिक ने सेशन कोर्ट के आदेश मिलते ही पहले से हाईकोर्ट में अपील की हुई है, और सेशन कोर्ट की ओर से कोई डिमोलिशन ऑर्डर जारी नहीं हुआ था। फिर भी तोड़फोड़ करना न केवल अवैध है बल्कि न्याय प्रक्रिया का खुला मजाक है।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि अब मुंबई में इमारतें कानून से नहीं, बल्कि अफसरों के मूड से गिरती हैं। बुलडोजर अब नियम से नहीं, ‘घमंड से’ चलते हैं।

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