भाजपा से इच्छुक उम्मीदवार अनन्या उबाले पर लगे आरोप
मुंबई । जहां एक ओर भाजपा नेता शिवसेना यूबीटी के खिचड़ी घोटाले पर जमकर तंज कसती रही है, वहीं मुंबई महानगरपालिका चुनाव की आहट के बीच वार्ड क्रमांक 38 में उसी भाजपा के भीतर ऐसा ‘किट घोटाला’ सामने आया है कि विरोधी नेता ठहाके लगाते हुए कह रहे हैं—“इसे कहते हैं अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारना।”
भाजपा को महाराष्ट्र विधानसभा, बिहार विधानसभा चुनावों में मिली जीत में महिलाओं का अच्छा प्रतिसाद मिला था तो आगामी बीएमसी चुनाव में भी लाड़ली बहनो को अपने पाले में लाने के फार्मूला को भाजपा यहां भी आजमाने गई, परंतु अब वही लाड़ली बहने भाजपा नेताओं के किट घोटाले से आग बबूला हो गई है ।
मामला भाजपा द्वारा हल्दी कुमकुम कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को किट और साड़ियां बांटने से जुड़ा है, जिस पर अब स्थानीय महिलाओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं और पूरे वार्ड में थू-थू की स्थिति बन गई है। विरोधी दल के नेता मज़ाक उड़ाते हुए यह तक कहने लगे हैं कि अभी तो ये लोग भावी नगरसेवक बनकर अपने ही पार्टी का ‘किट घोटाला’ कर रहे हैं, अगर नगरसेवक बन गए तो मनपा फंड का क्या हाल करेंगे, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
दरअसल, मुंबई महानगरपालिका चुनाव को देखते हुए भाजपा मुंबई अध्यक्ष अमित साटम ने सभी वार्डों में हल्दी कुमकुम के माध्यम से किट वितरण का मार्गदर्शन दिया था, जिसके तहत हर वार्ड में बड़े पैमाने पर 3 से 4 हजार बर्तन किट और साड़ियां बांटी जानी थीं। इसी कड़ी में पिछले दिनों त्रिवेणी नगर मंडल अध्यक्ष युवराज बनसोडे, महामंत्री लालासाहेब उबाले और पूर्व वार्ड अध्यक्ष अनन्या विशाल उबाले के नेतृत्व में वार्ड क्रमांक 38 में भव्य हल्दी कुमकुम कार्यक्रम आयोजित किया गया। लेकिन यहीं से आरोपों की कहानी शुरू हो गई। स्थानीय महिलाओं का कहना है कि आयोजकों ने चुनिंदा महिलाओं को ही चिन्हित कर किट दिए, जबकि बाकी महिलाओं को घंटों इंतज़ार के बाद भी कुछ नहीं मिला, जिससे उनमें भारी नाराजगी देखी गई।
आरोप और भी तीखे हैं। वार्ड 38 की एक भाजपा महिला कार्यकर्ता, जो किसी पद पर नहीं रही हैं बल्कि साधारण कार्यकर्ता हैं, ने बताया कि उनके साथ आई 25 महिलाओं को रात 10.30 बजे तक बैठाए रखा गया, लेकिन अंत में उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। महिलाओं का आरोप है कि जो महिलाएं अन्य वार्डों से थीं या जिनकी पहचान महामंत्री लालासाहेब उबाले और पूर्व वार्ड अध्यक्ष अनन्या विशाल उबाले से थी, उन्हें बिना किसी रोकटोक के किट मिल गए, जबकि अन्य भाजपा पदाधिकारियों के समर्थन में काम करने वाली कार्यकर्ताओं को न बुलाया गया और न ही किट दिया गया। गुटबंदी का ऐसा नजारा देखने को मिला कि विरोधी दल के लोग हंस-हंसकर कह रहे हैं—“वाह, अपने ही घर में विपक्ष की तैयारी पूरी है।”
एक महिला ने यह भी आरोप लगाया कि महामंत्री लालासाहेब उबाले और पूर्व वार्ड अध्यक्ष अनन्या विशाल उबाले के करीबी लोगों के परिवारों में एक-एक घर में 3-4 लोगों को किट बांटे गए और बाकी किट कहां गए, यह किसी को पता नहीं। यही नहीं, कुछ दिन पहले गली-गली कूपन बांटे गए थे और कहा गया था कि लालासाहेब उबाले की तरफ से गिफ्ट दिया जाएगा, आकर ले जाइए। अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब किट भाजपा की ओर से दिए जा रहे थे तो फिर यह प्रचार क्यों किया गया कि गिफ्ट व्यक्तिगत तौर पर दिया जा रहा है—भैया, किट तो पार्टी की थी ना?
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि महामंत्री लालासाहेब उबाले अपनी बहू, पूर्व वार्ड अध्यक्ष अनन्या विशाल उबाले को वार्ड 38 से चुनावी मैदान में उतारने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं और इसी वजह से मौके को भुनाने की कोशिश की गई, लेकिन नतीजा उल्टा निकल आया और किट वितरण का यह पूरा मामला आरोपों के घेरे में आ गया। विरोधी दल के नेता तंज कसते हुए कह रहे हैं कि प्रचार के चक्कर में पार्टी की ही फजीहत करवा दी गई।
इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों ने याद दिलाया कि भाईदूज के समय “देवाभाऊ का लाडली बहनों के लिए उपहार” के नाम पर प्रीति सातम के नेतृत्व में साड़ी वितरण हुआ था, जहां भी कूपन बांटे गए, लेकिन कूपन लेकर केवल 10-20 साड़ियां बांटी गईं और बाकी साड़ियां “हजम” हो गईं। लोग व्यंग्य में पूछ रहे हैं—“ये कैसा झोलमाल है भाई, अपने ही पार्टी की बदनामी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।” अब इसी तरह दिवाली में बांटी गई मिठाई किट को लेकर भी घोटाले के आरोप सामने आ रहे हैं।
अंत में वार्ड 38 के स्थानीय महिलाओं का गुस्सा साफ नजर आ रहा है। महिलाओं का कहना है कि अगर ऐसे आरोपों से घिरे लालासाहेब उबाले के बहू अनन्या उबाले को भाजपा ने टिकट दिया तो वे कांग्रेस या किसी दूसरी पार्टी को वोट देने से भी नहीं हिचकिचाएंगे, लेकिन इन आरोपों का सामना कर रहे घोटालेबाज नेताओं को नहीं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये लोग वार्ड के विकास के लिए नहीं, बल्कि अपने और अपने चहेतों के विकास के लिए नगरसेवक बनना चाहते हैं।
अब देखना यह है कि ‘किट राजनीति’ पर उठे इन सवालों का जवाब पार्टी कैसे देती है, या फिर विरोधियों की हंसी यूं ही गूंजती रहेगी।
