मुंबई, मुंबई उच्च न्यायालय ने पुणे स्थित रियल इस्टेट डिवेलपर डीएसके ग्रुप से कहा है कि वह 5 फरवरी तक न्यायालय में 50 करोड़ रुपये जमा कर दे ताकि उन निवेशकों को यह रकम दी जा सके, जिन्हें डीएसके समूह ने नुकसान पहुंचाया है।
इस आदेश के साथ ही समूह के मालिक दीपक कुलकर्णी और उनकी पत्नी हेमंती को 5 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक के लिए गिरफ्तार नहीं करने का अंतरिम संरक्षण मिल गया है। न्यायाधीश साधना जाधव ने यह भी कहा कि समूह को 2 फरवरी तक उन सभी संपत्तियों की सूची देनी है, जिन्हें अपने निवेशकों का भुगतान रने के लिए गिरवी रखा जा सकता है। यह 50 करोड़ रुपये की रकम न्यायालय के रजिस्ट्रॉर के पास जमा करनी है। यह रकम उसे पिछले सप्ताह ही जमा करनी थी, लेकिन डिवेलपर ने न्यायालय में गुरुवार को कहा कि उसके पास यह रकम है लेकिन इसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मंजूरी मिलनी बाकी है, जिसमें तीन दिन लगेंगे।
यह फैसला देते हुए न्यायालय ने कहा कि ‘हमें आपको जेल भेजने में कोई हिचक नहीं है लेकिन पहले निवेशकों को उनका पैसा वापस मिलना चाहिए। यही इस न्यायालय का पहला उद्देश्य है। इसलिए न्यायालय आपको अतिरिक्त समय दे रहा है’।
इस पर समूह के वकील ने कहा कि उनका मन निवेशकों के धन को लौटाने और न्यायालय के आदेशों का पालन करना है’।
पिछले साल ही निवेशकों की अनेक शिकायतों की जांच करते हुए पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने डीएसके समूह के कार्यालयों और आवासों पर छापे मारे थे और बैंक के खातों को जब्त करने के लिए लिखा था।
निवेशकों ने शिकायत थी कि उन्होंने डीएसके डिवेलपर्स की जमाराशि योजना में कई लाख रुपये जमा किए, लेकिन महीनों बाद भी उन्हें न तो ब्याज मिला और न ही मूलधन।