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बदनाम हो रही थी पुलिस, आखिर पकड़ा गया यूक्रेन के राजदूत का मोबाइल झपटने वाला

नई दिल्ली
लालकिले के सामने यूक्रेन के राजदूत का मोबाइल छीनने की ‘हिमाकत’ करने वाला आखिरकार पुलिस के हाथ आ गया है। ये अलग बात है कि उसने चार महीने तक दिल्ली पुलिस की कई टीमों को खूब दौड़ाया और छकाया, फिर भी चोरी-चकारी से बाज न आया। पुलिस ने उससे चोरी की एक बाइक रिकवर की है, जो उसने पिछले महीने चोरी की थी।आरोपी का नाम अजय कुमार है, वह नंदनगरी ए-4/110 में रहता है। उसने मोबाइल छीनने के बाद अपने साथी राजेंद्र प्रसाद को दे दिया था। राजेंद्र को नंदनगरी पुलिस ने अरेस्ट कर मोबाइल रिकवर कर लिया था। उससे पूछताछ में पता चला कि वारदात को अंजाम देने वाला असली ‘खिलाड़ी’ अजय कुमार है। अजय ने ही लालकिला घूम रहे यूक्रेन के राजदूत के साथ पहले सेल्फी खिंचवाई, फिर मोबाइल झपटकर भाग गया। राजदू त ने ऐंबैसी पहुंचकर गृह मंत्रालय के साथ-साथ पुलिस कमिश्नर को ई-मेल भेजकर वारदात की सूचना दी। दिल्ली पुलिस की बदनामी हो रही थी, इसलिए पुलिस की कई टीमें सरगर्मी से स्नैचर और मोबाइल की खोज में लग गईं। ऐसे में पुलिस ने मोबाइल रिकवर करके एक आरोपी को गिरफ्तार किया, तो कुछ राहत की सांस ली गई, लेकिन असली गुनहगार फरार था। उसके पीछे नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की पुलिस टीमों के अलावा क्राइम ब्रांच और नंदनगरी की पुलिस टीमें भी लगी थीं, लेकिन अजय पहचान होने के बावजूद पुलिस के हाथ नहीं लग रहा था।

वह कभी दिल्ली तो कभी यूपी में अलग-अलग जगहों पर रह रहा था। इस बीच 17 जनवरी को ज्योति नगर से एक बाइक चोरी की वारदात को अंजाम दिया गया। नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अजय को शाहदरा डिस्ट्रिक्ट के स्पेशल स्टाफ ने 2 फरवरी को अरेस्ट किया, उसके बाद नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट ने उसे प्रॉडक्शन वारंट पर लेकर पूछताछ की। उसके खिलाफ स्नैचिंग के तीन मामले पहले से दर्ज हैं। आरोपी फिलहाल जेल में है। अजय की गिरफ्तारी के बारे में नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी जतिन नरवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह चेक करके बताएंगे, फिर फोन रिसीव नहीं किया।

यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा 20 सितंबर को सुबह करीब 9 बजे अपने मोबाइल से लालकिला की तस्वीर ले रहे थे। उसी दौरान आरोपी अजय वहां पहुंचा और उसने इगोर के साथ सेल्फी खिंचवाई। जब इगोर दोबारा फोटो खींचने में मशगूल हुए तो अजय उनके हाथ से मोबाइल फोन छीनकर भाग गया। इगोर ने उसका पीछा करने की कोशिश की, लेकिन पकड़ नहीं सके। अजय ने थोड़ी दूर पर खड़े राजेंद्र को मोबाइल फोन दे दिया था। पुलिस ने वारदात स्थल के पास लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज और प्रत्यक्षदर्शी की मदद से आरोपियों की पहचान की।

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