भोपाल, मध्य प्रदेश स्थित कस्टम-सेंट्रल एक्साइज की खुफिया विंग (डीजी जीएसटी इंटेलीजेंस) ने गाजियाबाद के चार ऐसे बिल्डरों का पर्दाफाश किया है जो पांच साल से केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा रहे थे। ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी सहित कई संस्थानों में मैन पावर सप्लायर इन बिल्डरों ने सर्विस टैक्स वसूलकर अपनी तिजोरी भर ली, लेकिन सरकारी खजाने में पैसा जमा ही नहीं किया।
सामने आई बड़ी गड़बड़ी
प्रारंभिक जांच में करीब पांच करोड़ रुपये की टैक्स की वसूली सामने आई है। डीजी जीएसटी इंटेलीजेंस की जोनल
यूनिट भोपाल कई महीनों से गोपनीय तौर पर इस गोरखधंधे की छानबीन में जुटी थी।
नहीं था बिल्डरों का रजिस्ट्रेशन
गाजियाबाद के चारों बिल्डर पांच साल से अपने ग्राहकों से सर्विस टैक्स तो वसूल रहे थे, लेकिन यह राशि वे कस्टम-सेंट्रल एक्साइज महकमे में जमा नहीं कर रहे थे। तीन बिल्डरों के पास तो विभाग का रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। भोपाल स्थित डीजी जीएसटी इंटेलीजेंस जोनल यूनिट को करीब पांच-छह महीने पहले इस गोरखधंधे की भनक मिली थी। खुफिया विंग ने अपने सीनियर इंटेलीजेंस ऑफिसर शरद त्रिपाठी और विभूति गर्ग को छानबीन में लगाया। इन्होंने गोपनीय तौर पर जानकारियां हासिल कर अमानत में खयानत करने वालों को लगातार निगरानी में रखा। मामले की पुष्टि होते ही चारों कंपनी संचालकों को रंगे हाथ दबोच लिया।
संचालक मनोज जैन, ताहिर हुसैन, अमन रस्तोगी और एक अन्य को जब दस्तावेज दिखाए गए तो उनके पास सरेंडर करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने अपनी देनदारी मंजूर कर ली।
भोपाल में चली पांच दिन पूछताछ
खुफिया विंग की ओर से ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल अथॉरिटी के सीईओ को भी पत्र भेजा गया है। चारों कंपनी संचालकों को भोपाल तलब कर पांच दिन तक लगातार पूछताछ की गई। मामले की इतने दिन तक अनदेखी
कैसे हुई, विभागीय स्तर पर इसकी जांच भी की जाएगी।
सरकारी खजाने में नहीं जमा कराया टैक्स
वहीं, समीर पांडे (डिप्टी डायरेक्टर, डीजी जीएसटी इंटेलीजेंस, जोनल यूनिट भोपाल) का कहना है कि चारों कंपनी संचालकों ने 2012 से अवैध रूप से सर्विस टैक्स वसूला, लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया। ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी सहित अन्य संस्थाओं से दस्तावेज मांगे गए हैं। कुछ लोगों को समन भी भेजे गए हैं। मामले में छानबीन अभी जारी है।