मुंबई
महाराष्ट्र विधानमंडल का बजट सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। बीजेपी-शिवसेना सरकार का यह चौथा पूर्ण बजट है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार जनहित के विकास कार्य करने के तरह-तरह के दावे कर रही है। सदन में सरकार के उन दावों की पोल खोलने लिए विपक्ष ने खूब कसरत की है। विपक्ष क्या मुद्दे उठाने वाला है, सरकार को घेरने की क्या योजना है? विपक्षी एकता किस मुकाम पर है? इन्हीं मुद्दों पर विधानसभा में नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखे पाटील से एनबीटी के प्रमुख संवाददाता राजकुमार सिंह ने बात की। इस बातचीत में विखेपाटील ने कहा कि फडणवीस सरकार का हनीमून पीरियड खत्म हो गया है। अब सरकार को बताना होगा कि उसने क्या काम किया है? पेश है बातचीत के प्रमुख अंश:बजट सत्र के लिए विपक्ष की क्या तैयारी है?
सत्र शुरू होने से पहले हम लोगों ने पूरे राज्य का व्यापक दौरा किया। समाज के हर वर्ग से बातचीत की। जमीनी स्तर पर जाकर महिला, युवक, किसान, मजदूर, व्यापारी सभी से यह जानने की कोशिश की कि सरकार उनके लिए क्या कर रही है। ओला गिरने से किसानों को हुए नुकसान के बारे में जाना। रोजगार की तलाश में भटक रहे युवकों से मिले। छात्रों से मिले और जानने की कोशिश की कि सरकार जिन योजनाओं को प्रचारित कर रही है, उसका जनता को कितना फायदा मिल रहा है लेकिन यह जानकर बड़ी निराशा हुई कि सरकार की सारी घोषणाएं कागजी हैं। योजनाएं और घोषणाएं विज्ञापनों तक सिमट कर रह गईं है। इसका असर हर वर्ग पर पड़ रहा है। विकास के बजाय लोग गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं। समाज में भय का माहौल है।
बजट सत्र में विपक्ष के मुख्य मुद्दे क्या होंगे?
मुद्दों की कमी नहीं है। यह सिर्फ नाम की सरकार है। जनता ने इन्हें मौका दिया कि वे कुछ करके दिखाएं लेकिन ये बुरी तरह से फ्लॉप हो गए। महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा हो रहा है कि मंत्रालय में आकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा। आखिर ऐसी नौबत क्यों आई? सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी की घोषणा की लेकिन किसानों को उसका कोई फायदा नहीं मिला। सरकार युवकों को रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे करती है जबकि बेरोजगार युवक नौकरी के लिए सरकारी कार्यालयों के सामने धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। बेमौसम बारिश के साथ ओला गिरने से किसानों को भारी नुकसान हुआ। नुकसान का कोई पंचनामा नहीं और मुआवजा तो दूर की बात है। बीएमसी में घोटाला और कमला मिल कंपाउंड में आग लगने से 14 लोगों की मौत हो गई और आश्चर्य की बात है कि जो बीएमसी कमिश्नर आरोपों के घेरे में हैं, उन्हें ही जांच की जिम्मेदारी दे दी गई। राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई है। ऐसे कई सारे सारे मुद्दे हैं। सदन में हम जो भी आरोप लगाएंगे, सबूत के साथ लगाएंगे, ताकि सरकार को बचने का रास्ता न मिले।
अब तक सदन में विपक्ष एकजुट नहीं दिखा है, इस बार क्या स्थिति है?
ऐसा कतई नहीं है। विपक्ष मजबूत है। इस सरकार का हनीमून पीरियड खत्म हो चुका है। अब इन्हें बताना होगा कि उन्होंने क्या काम किया है और उसका फायदा किसे और किस तरह से मिल रहा है। उन्हें बताना होगा कि भीमा कोरेगांव के दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई? किसे गिरफ्तार किया? सरकार को बताना होगा कि राज्य से उद्योग क्यों पलायन कर रहे हैं? क्यों बेरोजगार युवकों को रोजगार नहीं मिल रहा है? उद्योग धंधे क्यों चौपट हो गए हैं? विकास के बारे में राज्य क्यों पिछड़ रहा है? हम लोग दिखाएंगे कि विपक्ष क्या होता है? विपक्ष सदन में रहकर अपनी बात रखेगा ताकि जनता के प्रश्नों के न्याय मिल सके।
सरकार मैग्नेटिक महाराष्ट्र और मेक इन इंडिया को सफल बता रही है और दोनों ही योजना से करीब 20 लाख करोड़ रुपये के निवेश और करीब 50 लाख रोजगार का दावा कर रही है। इस मुद्दे पर विपक्ष के पास क्या है?
मैग्नेटिक महाराष्ट्र और मेक इन इंडिया दोनों बोगस हैं। सरकार के दावे पूरी तरह से नकली हैं। अगर उनके दावे सही हैं तो सरकार जनता को दिखाए कि राज्य में कहां कारखाने लग रहे हैं, किस क्षेत्र में लग रहे हैं, कितने लोगों को रोजगार मिला है। कितना एक्सपोर्ट किया जा रहा है। सरकार के पास बताने के लिए कुछ नहीं है। सरकार मेक इन इंडिया में 8 लाख करोड़ के निवेश करार का दावा करती है। फिर सरकार बताए कि किस उद्योगपति को उद्योग लगाने के लिए जमीन दी। मुझे याद है, इस सरकार ने दुनिया की फेमस कंपनी फॉक्सकॉन के साथ करार के बड़े-बड़े दावे किए गए थे। चिल्ला-चिल्लाकर कहा था कि 5 बिलियन डॉलर का निवेश आएगा और 50 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा लेकिन सचाई क्या है? फॉक्सकॉन ने कोई कारखाना नहीं लगाया और जहां तक मुझे याद है कि उस कंपनी ने महाराष्ट्र में निवेश करने से ही मना कर दिया है। अब झूठ कौन बोल रहा है। फर्नीचर बनाने वाली स्वीडन की एक कंपनी की दुकान का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया था, अब कहां है वह दुकान दिखाएं तो सही। सरकार बस लंबी-लंबी फेंक रही है और ब्रैंडिंग कर रही है, इसके अलावा कुछ नहीं।
सरकार पर इतने आरोप लगा रहे हैं लेकिन स्थानीय निकाय के चुनाव में तो बीजेपी को ही सफलता मिली है?
ऐसा कदापि नहीं है। स्थानीय निकाय के चुनाव में जितनी बड़ी सफलता का दावा बीजेपी कर रही है, वैसा कुछ भी नहीं है। स्थानीय निकाय के चुनाव राजनीतिक पार्टी के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़े जाते लेकिन बीजेपी ऐसे पेश कर रही है, जैसे उसकी जीत हुई है। झूठ बोलने में और उस झूठ को अच्छी तरह से पेश करने में यह पार्टी माहिर है।