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दो धर्मों के युवा शादी करना चाहते थे, परिवार नहीं माने तो तय किया कि जाति-धर्म नहीं मानेंगे

केरल, बिना जाति और धर्म के आप भारत की कल्पना भी नहीं कर सकते। इसके दम पर तो कई राज्यों का सियासी भविष्य तय हो जाता है, कई राज्यों में सरकारें बन जाती हैं। लेकिन केरल का एक परिवार ऐसा है जो किसी धर्म को नहीं मानता। इतना ही नहीं इस परिवार ने आधिकारिक तौर पर खुद को ‘कास्टलेस’ घोषित कर दिया है। अब दो पीढ़ियों का हर सदस्य कास्टलेस है। घर के बाहर नेमप्लेट में भी लिखा है ‘कास्टलेस हाउस’।

दुबई में रहते हैं कास्टलेस, बच्चों के नाम इंडियन और अल्फा कास्टलेस

इस परिवार के बड़े भाई कास्टलेस दुबई में रहते हैं और बच्चों के नाम अल्फा और इंडियन कास्टलेस हैं। सभी भाई-बहनों के बच्चे अपने नाम में ‘कास्टलेस’ लगाते हैं। वे भी किसी भी धर्म या जाति को नहीं मानते। अब इस परिवार की दो पीढ़ियां जाति और धर्म के बंधनों से मुक्त होकर ‘कास्टलेस’ हो चुकी है।

दोनों परिवार बेहद रुढ़िवादी थे

केरल में कोल्लम जिले के पूनालूर में रहने वाले इस परिवार के कास्टलेस जूनियर पूरी कहानी को यूं बयां करते हैं, “हमारे माता-पिता अलग-अलग धर्मों के थे और शादी करना चाहते थे। लेकिन । उन्हें इन दोनों के रिश्ते का पता चला, तो मां को घर में कैद कर दिया गया। मेरे पिता ने उन तक पहुंचने की कई कोशिशें की, लेकिन नाकाम रहे। आखिरकार उन्होंने केरल हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की।

1973 में साथ रहने लगे अौर 19 साल बाद शादी का रजिस्ट्रेशन कराया

हाईकोर्ट के आदेश के बाद 1973 में दोनों मिले और साथ रहने लगे। वे 19 साल तक बिना किसी धर्म का पालन किए और बिना शादी किए साथ रहे। इस दौरान दोनों के परिवारों ने दबाव डालकर इनके धर्म परिवर्तन की कोशिश भी की, लेकिन ये दोनों नहीं माने। 1992 में दोनों ने स्पेशल मेरिज एक्ट में विवाह का पंजीयन करवाया, ताकि बच्चों को उनका कानूनी हक मिल सके।’ बच्चों ने भी अपनी शादी इसी कानून के तहत रजिस्टर्ड करवाई हैं।”

बड़े बेटे का नाम कास्टलेस, छोटे का कास्टलेस जूनियर और बेटी का शाइन कास्टलेस

1974 में मेरे बड़े भाई का जन्म हुआ, तो नाम रखा गया- कास्टलेस। 1975 में मेरा जन्म हुआ, तो कास्टलेस जूनियर और 1983 में बहन पैदा हुई, तो उसका नाम शाइन कास्टलेस रखा गया। माता-पिता ने स्कूलों तक में धर्म और जाति के कॉलम में ‘कोई नहीं’ लिखा। एक बार स्कूल वालों ने धर्म लिखने को कहा, तो पिताजी ने कहा कि बच्चे बड़े होकर खुद तय करेंगे कि कोई धर्म रखना है या नहीं।

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