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आंबेडकर दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में पासवान के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भाग लेंगे

नई दिल्ली
देश में दलितों के मुद्दे पर जारी आंदोलन के बीच बिहार में भी दलित राजनीति में नई सोशल इंजिनियरिंग की आहट सुनाई दे रही है। केंद्र में बीजेपी के साथ सरकार का हिस्सा बने रामविलास पासवान ने ही इसकी पहल की है। 14 अप्रैल को आंबेडकर दिवस के मौके पर दलित सेना की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में रामविलास पासवान के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा तीनों भाग लेंगे। तीनों अभी एनडीए का हिस्सा हैं। सूत्रों के अनुसार इस आयोजन के पीछे बड़ा सियायी संदेश है, जो तीनों मिलकर देना चाहते हैं। पिछले कुछ दिनों से बिहार में रामविलास पासवान और नीतीश कुमार की नजदीकी की खबरें आती रही हैं। दोनों की हाल में कई बड़ी मुलाकातें हुई है। दोनों ने सांप्रदायिकता और दलित हिंसा के खिलाफ हाल में बयान भी दिया है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए में अपनी नाराजगी परोक्ष तरीके से कई मौकों पर सामने रख चुके हैं। नीतीश कुमार ने हाल में बिहार में हुई सांप्रदायिक घटनाओं के बाद बीजेपी नेताओं के बयान पर साफ ऐतराज जताया था तो बीजेपी भी नीतीश पर हमलावर रही है। शनिवार को ही बीजेपी नेताओं ने बिहार पुलिस के प्रमुख से मिलकर उनके लोगों को जानबूझकर परेशान करने का आरोप लगाया। दरअसल दलित नेता के रूप में स्थापित रामविलास पासवान को पिछले चार सालों में राजनीतिक रूप से कोई मंच नहीं दिया गया और दूसरे दलित नेताओं को सामने लाया गया। नीतीश कुमार को आरजेडी से गठबंधन तोड़कर एनडीए में शामिल किया गया और बाद में यहां भी उन्हें हाशिये पर रखने की कोशिश की गई। यही बात रामविलास और नीतीश दोनों को करीब लाने वाला कॉमन फैक्टर बनती दिख रही है। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से दोनों लगातार संपर्क में हैं और सियासी घटनाक्रम को लेकर साझा रणनीति पर काम कर रहे हैं। अब इसमें उपेंद्र कुशवाहा भी साथ आ गये हैं। इससे पहले नीतीश कुमार पप्पू यादव से भी मुलाकात कर चुके हैं।

दलित-महादलित को नजदीक लाने की कोशिश
रामविलास पासवान बिहार में दलितों के बड़े नेता रहे हैं, लेकिन बाद में नीतीश कुमार ने महादलित की सोशल इंजीनियरिंग कर नया वोटबैंक बनाया। दोनों नेताओं की मंशा है कि दोनों वोटबैंक यदि एक हो गए तो राज्य का यह सबसे बड़ा वोट बैंक बन जाएगा। साथ ही पासवान की आबादी बिहार में 8 फीसदी से अधिक है। सम्मेलन के दिन नीतीश सरकार इनसे जुड़ी कोई बड़ी घोषणा भी कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार आम चुनाव से पहले दोनों नेता अपनी सियासी ताकत संयुक्त रूप से इस तरह आगे बढ़ाना चाहते हैं, जिसमें इन्हें किसी के सामने समर्पण न करना पड़े। जाहिर है बिहार के सियासी घटनाक्रम पर सभी राजनीतिक दलों की करीबी नजर है। राज्य से 40 लोकसभा की सीटें हैं।

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