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मुंबई एक, प्लानिंग अथॉरिटीज

मुंबई
480 वर्ग किलोमीटर में फैली मुंबई को जल्द ही दो नई प्लानिंग अथॉरिटीज मिल सकती हैं। म्हाडा और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (एमबीपीटी) को प्लानिंग अथॉरिटी का दर्जा देने का प्रस्ताव अंतिम दौर में है। अभी बीएमसी, एमएमआरडीए और एसआरए के रूप में तीन प्लानिंग अथॉरिटीज पहले से ही महानगर का नियमन कर रही हैं। बीएमसी मुंबई में और प्लानिंग अथॉरिटी बनाने का अंदरूनी तौर पर विरोध कर रही है। उसका तर्क है कि जब पानी, कचरा और गटर, सब उसे ही संभालना है, तो नई अथॉरिटी बनाकर समन्वय का काम बढ़ाने की क्या जरूरत है। वह भी तब, जबकि म्हाडा जैसी सरकारी एजेंसियों की जमीन पर बिल्डिंग प्लान मंजूरी के लिए बीएमसी में अलग सेल है।

एक सवाल है बड़ा
प्लानिंग अथॉरिटी बनाने से भले ही बिल्डिंग मंजूरी का काम आसान हो जाता है, लेकिन ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के तहत जब पहले ही सारी प्रक्रिया आसान हो रही है, तो इन मंजूरियों में कुछ दिनों के अंतर के लिए क्या नई अथॉरिटी बनाने की सचमुच जरूरत है।

एसआरए की जिम्मेदारी
मुंबई के स्लम का विकास तेज गति से करने के लिए एसआरए को प्लानिंग अथॉरिटी का दर्जा दिया गया। वहींं म्हाडा अपने सभी ले-आउट की मंजूरियों का अधिकार अपने पास चाहती है, ताकि उसे ले-आउट आदि की मंजूरी के लिए भटकना न पड़े

क्या हैं नुकसान
एक ही शहर में कई तरह के नियम होते हैं। बिल्डिंग की ऊंचाई और प्रावधान भी अलग होंगे। इससे शहर में एकरूपता नहीं होगी।
संतुलित विकास की राह में दिक्कत होगी। होटल, दुकान और नए कारोबार के लिए अलग-अलग नियम होने से निवेश प्रभावित होंगे

क्या होंगे फायदे
संबंधित जमीन पर बिल्डिंग निर्माण की अनुमति जल्द मिल सकेगी। छोटे इलाके का बेहतर नियोजन हो सकेगा इस बारे में, संजय चतुर्वेदी, प्‍लान‍िंग व‍िशेषज्ञ, ‘महानगर में एक ही प्लानिंग अथॉरिटी होनी चाहिए, ताकि वह डीपी के समय पूरे महानगर की जरूरतों को ध्यान में रखकर फैसले ले सके।’ वर‍िष्‍ठ बीएमसी अध‍िकारी ने बताया क‍ि, ‘हमने सरकारी एजेंसियों की जमीन के लिए अलग सेल बना रखा है। प्लानिंग अथॉरिटी बनाने से केवल समन्वय का काम बढ़ेगा। पानी, कचरा आदि की जिम्मेदारी तो बीएमसी को ही संभालनी होगी।’

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