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प्लास्टिक पर पाबंदी के खिलाफ सुनवाई में भीड़ से अदालत नाराज

मुंबई: महाराष्ट्र में प्लास्टिक पाबंदी के खिलाफ सुनवाई कर रही बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और उनके वकीलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर कोई सोचता है कि भीड़ से वो अदालत को प्रभावित कर सकता है तो वो गलत है. उसकी याचिका खारिज की जा सकती है.

दरअसल मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में लोग काली शर्ट और फीता लगाकर आए थे. भीड़ इतनी थी कि दूसरे मामलों से जुड़े वकीलों को भी अदालत में जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा.

न्यायाधीश अभय ओक और रियाज़ छागला की पीठ उस बात से इतनी नाराज थी कि याचिका पर फैसले के पहले याचिकाकर्ताओं से जवाब तालाब किया. अदालत चाहती थी कि वकील या फिर याचिकाकर्ता उसकी जिम्मेदारी ले लेकिन सभी ने भीड़ से अपना पल्ला झाड़ लिया.

नाराज अदालत ने पाबंदी के खिलाफ मुख्य याचिका पर फैसला देने के पहले मंगलवार की भीड़ पर भी अलग से फैसला दिया. अदालत ने कहा कि अगर कोई सोचता है कि भीड़ से वो अदालत को प्रभावित कर सकता है तो वो गलत है. उसकी याचिका खारिज की जा सकती है. खासकर के बार के सदस्य की जिम्मेदारी बनती है कि इस तरह की गलत परंपरा को रोके. इसलिए वकीलों की 3 संस्थाओं को इस आदेश की कॉपी दी जाए और हम उम्मीद करते हैं कि सभी 3 बार एसोसिएशन इसे गंभीरता से लेंगे और भविष्य में इस तरहं की स्थिति न हो.
इसके पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर लगाई गई रोक को सही बताते हुए महराष्ट्र सरकार ने तर्क दिया कि प्लास्टिक का इस्तेमाल ना सिर्फ पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है बल्कि इनसान और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है. जबकि याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आज के रहनसहन ने बिना उचित विकल्प के प्लास्टिक पर पाबंदी लगाना संभव नहीं है.

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