मुंबई
बलात्कार के मामले में जेल की सजा काट रहे भांडुप के एक युवक को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। युवक को साल 2013 में रेप के एक मामले में सत्र न्यायालय ने 10 साल की सजा सुनाई थी। मगर युवक की नाबालिग प्रेमिका के बयान को देखते हुए हाई कोर्ट ने उसकी सजा घटाकर 7 साल कर दी। रेप के आरोप में दोषी पाए जाने पर सजा काट रहे युवक की सजा कम करने का आदेश सुनाने वाले न्यायधीश अनंत बदर ने कहा, ‘युवक और पीड़ित लड़की आपस में प्रेम करते थे और उनके बीच शारीरिक रिश्ता बनना प्राकृतिक है। मगर युवक को कोर्ट इसलिए दोषी ठहराता है क्योंकि उस समय लड़की की उम्र 16 साल से कम 14 वर्ष ही थी। इस अवधि में नाबालिग लड़की से शारीरिक संबंध बनाना कानूनन अपराध है। भारत में साल 2013 में लड़कियों के बालिग होने की उम्र 18 साल निर्धारित की गई है। इसके साथ ही युवक की सजा में इसलिए कटौती की जा रही है क्योंकि इस मामले में कहीं से भी यह सिद्ध नहीं हुआ है कि युवक ने लड़की से शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसे डराया या फिर दबाव बनाया हो।’
लड़की ने माना, दोनों के बीच था प्रेम
आपको बता दें कि पीड़ित नाबालिग लड़की ने कोर्ट में दोषी युवक रफीक शेख के खिलाफ बयान दिया था कि उसने शादी के वादे पर अपनी सहमति से शारीरिक संबंध बनाया था। इसी बात को आधार मानते हुए न्यायाधीश ने युवक की सजा कम करते हुए उसे 7 साल की सख्त सजा सुनाई। इसके साथ ही उस पर 1000 रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया है।
यह है पूरा मामला
दोषी युवक रफीक शेख ने जब लड़की से शादी का वादा तोड़ा तब पीड़ित लड़की ने उसके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया। पुलिस के मुताबिक लड़की साल 2012 में रफीक के पड़ोस में रहने आई थी। इसके बाद रफीक ने लड़की से शादी करने का वादा किया और उसके साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाए।
सत्र न्यायालय से मिली थी 10 साल की सजा
रफीक शेख मामले में सत्र न्यायालय ने पीड़ित लड़की का पक्ष सुनते हुए रफीक रफीक को बलात्कार, धोखाधड़ी के जुर्म में 10 साल की सजा सुनाई थी। इस केस के बारे में अभियुक्त के वकील उमेश मोहिते ने कहा कि, युवक पर जो आरोप लगाए थे वह विश्वास करने योग्य नहीं थे। वकील ने इस मामले में लड़की की तरफ से एफआईआर दर्ज कराने को लेकर सवाल खड़े किए थे। मगर हाई कोर्ट ने इस दलील पर कहा कि लड़की नाबालिग है और इस आधार पर युवक दोषी है।