मुंबई
नाबालिग लड़की से बलात्कार जैसे नृशंस अपराधों में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जा सकती, इस बात पर गौर करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के 18 साल पुराने एक मामले में 37 वर्षीय एक व्यक्ति की दोषसिद्धी और सजा को बरकरार रखा है। पिछले हफ्ते पारित आदेश में न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने व्यक्ति द्वारा दाखिल अपील को खारिज कर दिया जो घटना के वक्त 19 वर्ष का था। पुणे की सत्र अदालत ने उसे लड़की से बलात्कार का दोषी माना था जो उस वक्त 16 साल की थी। अदालत के इस फैसले को व्यक्ति ने चुनौती दी थी। फरवरी 2002 में सत्र अदालत ने उसे सात साल कैद की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने उसे सजा काटने के लिए एक महीने के भीतर पुणे की सत्र अदालत में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति डांगरे ने अपने आदेश में कहा कि बलात्कार जैसे घृणित अपराध में ढिलाई नहीं बरती जा सकती। उन्होंने कहा कि यह बात सभी जानते हैं कि दिल्ली में 2012 में हुए सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद संसद ने दंड कानूनों में संशोधन किया है और बलात्कार के अपराध को अधिक सजा के साथ दंडनीय बनाया है।