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मोदी-शी बैठक: अनौपचारिक मुलाकात का एकमात्र एजेंडा है आपसी विश्वास

पीएम मोदी अपने दो दिवसीय अनौपचारिक चीन के दौरे पर वुहान शहर पहुंच गए हैं। पीएम मोदी आज चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। मोदी के इस दौरे की 1998 के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौरे से तुलना की जा रही है, जिन्होंने उस समय चीन के नेता डेंग शियाओपिंग से मुलाकात की थी और 1962 के युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच आए रिश्तों की तल्खी को दूर करने की कोशिश की थी। वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद ने दोनों देशों के संबंधों को फिर से निचले स्तर पर पहुंचा दिया था। इसके बाद यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच बैठक का एकमात्र एजेंडा आपसी विश्वास है। शी-मोदी की बैठक पहले की तुलना में अलग होगी, क्योंकि इस बार बातचीत की कोरियोग्राफी नहीं की जाएगी और वहां केवल मंडारिन बोलने वाला एक भारतीय दुभाषिया मौजूद रहेगा। एक अधिकारी ने कहा, “यह विचार शियामेन सम्मेलन के दौरान उत्पन्न हुआ था।” चीनी और भारतीय अधिकारियों ने कहा, “इन दो दिनों के दौरान दोनों नेता एक या दो बार नहीं, बल्कि ‘कई’ बार मुलाकात करेंगे और दिल-से-दिल की बात करेंगे।”

पुष्ट सूत्रों के मुताबिक, “मोदी और शी वुहान में माओत्से तुंग के ऐतिहासिक विला के नजदीक इस्ट लेक के पास समय गुजार सकते हैं या नौका विहार कर सकते हैं।” बैठक के लिए हालांकि कोई औपचारिक एजेंडा नहीं है और दोनों नेता बातचीत के दौरान विवादस्पद मुद्दों जैसे सीमा विवाद संबंधी संयुक्त बयान भी जारी नहीं करेंगे।

चीनी सरकार के एक अधिकारी ने बताया, “आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि शी भारत को किस तरह का महत्व दे रहे हैं, यह पहली बार है कि वह किसी विदेशी नेता के साथ इस तरह की बैठक कर रहे हैं। वे लोग सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत करेंगे।”

वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी की यह चौथी चीन यात्रा होगी। वह 9 और 10 जून को क्विंगदाओ शहर में होने जा रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन जा सकते हैं।

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