मुंबई
सरकारी तिजोरी से खर्च होने वाले पैसे ने सरकार के काम करने की गति की पोल खोल दी है। वित्त विभाग से जो ताजा आंकड़े हाथ लगे हैं, उनके मुताबिक पिछले साल के बजट का 45% हिस्सा आखिर के 3 महीनों में खर्च किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि बजट पेश होने के बाद से पूरे साल तक महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के काम करने की गति बहुत धीमी रही और आखिर के 3 महीनों में यानी फरवरी, मार्च और अप्रैल में बजट राशि को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से धड़ाधड़ पैसा खर्च किया गया। राज्य के वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा मार्च के अंत में बजट पेश किए जाने के बाद सामान्यतः अगले वर्ष 31 मार्च तक बजटीय राशि का 100% खर्च किया जाना आवश्यक है। वित्त विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2017-18 के बजट में महाराष्ट्र सरकार ने 3 लाख 75 हजार 564.462 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। परंतु इस राशि में से साल भर में 2 लाख, 61 हजार 498.639 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से वितरित किए गए। इसमें से भी 1 अप्रैल 2017 से 31 जनवरी 2018 तक यानी शुरू के नौ महीनों में सिर्फ 1 लाख 75 हजार 601.173 करोड़ रुपये ही वितरित किए गए, जो बजट की कुल राशि का केवल 43% हिस्सा है।
इसका सीधा मतलब है कि खुद को गतिमान सरकार कहने वाली सरकार के कामकाज की गति धीमी ही रही। वित्त विभाग से मिले आंकड़ों में आगे गौर करने वाली बात यह है कि नया वित्त वर्ष शुरू होने से सिर्फ दो महीने पहले यानी फरवरी 2018 में 17 हजार 943.140 करोड़ रुपए की राशि विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा खर्च की गई। वहीं, आखिर के मार्च और अप्रैल महीनों में करीबन 47 हजार 846.142 करोड़ रुपये खर्च किए गए। आखिर के तीन महीनों में लगभग 65 हजार 500 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
आकंड़ों की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। आंकड़े बताते हैं कि साल के अंत तक, यानी अप्रैल 2018 तक कुल 2 लाख 34 हजार 446.388 करोड़ रुपये की निधि खर्च की गई। बावजूद इसके सौ प्रतिशत बजट राशि फिर भी खर्च नहीं हो पाई। क्योंकि जो राशि खर्च हुई है, वह बजट राशि की सिर्फ 89 प्रतिशत ही है।