पीटरमैरिट्जबर्ग: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को कहा कि महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला ने अन्याय और भेदभाव का सामना कर रहे लोगों को उम्मीद की किरण दिखाई. साथ ही उन्होंने रंगभेद के खिलाफ लड़ाई में दक्षिण अफ्रीकी लोगों की मदद करने में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की भूमिका को याद किया. सुषमा सात जून 1893 की ऐतिहासिक घटना की 125 वीं वर्षगांठ के मौके पर यहां सिटी हॉल में आयोजित एक भोज में मुख्य वक्ता थीं. सात जून 1893 को युवा वकील मोहनदास करमचंद गांधी को केवल श्वेतों के लिए आरक्षित ट्रेन के डिब्बे से बाहर फेंक दिया गया था.
उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने दुनिया भर के उपनिवेशवाद अथवा रंगभेद के गुलामों के बीच उम्मीद की किरण जगाई थी. सुषमा ने कहा , ‘यह पीटरमैरिट्जबर्ग था जहां हमारे समय के दो महान नेताओं ने फिर से उम्मीद जगाई. उन्होंने विकासशील देशों खासतौर से भारत और अफ्रीकी राष्ट्रों को उपनिवेशवाद की बेड़ियों से आजाद कराकर उनमें उम्मीद जगाई.’
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने आने वाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाई कि हमारे मूल्य और सिद्धांत हमारे मन और संविधान में हमेशा प्रतिष्ठापित रहेंगे.’ विदेश मंत्री ने यहां 25 साल पहले मंडेला द्वारा गांधी की प्रतिमा का आधिकारिक रूप से अनावरण करने का जिक्र करते हुए कहा , ‘मंडेला ने अपने भाषण में कहा था कि अब वह समय है जब हमें महात्मा गांधी की सीख से सबक लेना होगा.’