मुंबई
शिवसेना और बीजेपी के बीच महाराष्ट्र में जहां समीकरण बनाए रखने की कवायद जोरों पर है वहीं एक बार फिर बीजेपी और शिवसेना आमने-सामने आ गए हैं। शिवसेना ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को बुलाए जाने का जिक्र अपने मुखपत्र ‘सामना’ में किया है। शिवसेना के मुताबिक, आरएसएस उन्हें बुलाकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए 2019 का ग्राउंड तैयार कर रहा है। इसपर बीजेपी नेता राम कदम ने पलटवार किया है और कहा है कि हम ‘सामना’ को गंभीरता से नहीं लेते। शिवसेना की ओर से संजय राउत ने भी कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति को बुलाए जाने पर आरएसएस की मंशा पर सवाल उठाए थे। शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के वैचारिक सलाहकार संगठन आरएसएस ने कभी भी शिवसेना के पूर्व प्रमुख बाल ठाकरे को अपने मंच पर आमंत्रित नहीं किया और इफ्तार पार्टी आयोजित कर मुसलमानों को खुश करने की कोशिश कर रही है। शिवसेना पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता राम कदम ने कहा कि संजय राउत इस वक्त शरद पवार की भाषा बोल रहे हैं।
‘सामना’ नहीं है कोई समाचार पत्र
राम कदम ने कहा, ‘संजय राउत का बयान दिखाता है कि वह शरद पवार की भाषा बोल रहे हैं। बीजेपी-एनडीए की सरकार ही 2019 में सत्ता में आएगी।’ सामना में प्रकाशित संपादकीय को लेकर उन्होंने कहा, ‘सामना कोई समाचार पत्र नहीं है और हम इसे गंभीरता से नहीं लेते।’ शिवसेना में कही इस बात का खंडन करते हुए कि 2019 में पूर्ण बहुमत न मिलने पर बीजेपी प्रणब मुखर्जी को चेहरा बनाएगी, कदम ने कहा कि बीजेपी आम चुनाव में एक बार फिर सरकार बनाएगी। शिवसेना ने संपादकीय में किया था जिक्र
बता दें, शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में इस बात का जिक्र किया गया कि कांग्रेस के इस खांटी नेता को बुलाने के पीछे दिल्ली में अजेंडा सेट हो रहा है। इसमें लिखा गया कि प्रणब मुखर्जी को बुलाने के पीछे का अजेंडा 2019 चुनाव के बाद स्पष्ट हो जाएगा। तब बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा और देश में ऐसा ही माहौल है। ऐसे में अगर त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति आई और अन्य दलों का मोदी को सहयोग नहीं मिला तो प्रणब ‘सर्वमान्य’ नेता हो सकते हैं।