मुंबई
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मल्लिकार्जुन खड़गे को महाराष्ट्र का प्रभारी महासचिव नियुक्त किए जाने का फैसला आगामी चुनावों में महाराष्ट्र जीतने की कांग्रेस की कोशिशों का आगाज है। इसके पीछे राजनीतिक विमर्श से निकली सोची-समझी रणनीति भी है। इस फैसले में राज्य के एक पूर्व व बड़े कांग्रेसी नेता की सलाह ने भी बड़ी भूमिका निभाई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पिछले दिनों इस नेता की दिल्ली में मुलाकात हुई थी। उसी समय तय हो गया था कि महाराष्ट्र जीतना है, तो किसी वरिष्ठ अनुभवी और मराठी जानने-बोलने वाले नेता को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी जाए। इसके बाद राहुल गांधी ने पार्टी में अपने सलाहकारों से विचार विमर्श किया। इस विचार विमर्श के दौरान खड़गे का नाम निकल कर सामने आया।
खड़गे को महाराष्ट्र का प्रभारी बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस को शरद पवार के कद के बराबर का कोई नेता चाहिए था, जो अगले चुनावों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन के लिए शरद पवार के साथ समान स्तर पर बात कर सकता हो और सीधे कांग्रेस आलाकमान से संपर्क कर सकता हो। खड़गे फिलहाल लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, वरिष्ठता और अनुभव के मामले में भी पवार के समकक्ष हैं।
खड़गे को महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपने की दूसरी बड़ी वजह है कि वे कांग्रेस के दलित नायक माने जाते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में दलितों की आबादी करीब 17 फीसदी है और महाराष्ट्र में करीब 7 प्रतिशत दलित वोटर हैं। 2014 के चुनाव में बड़ी संख्या में दलित वोटर भाजपा की तरफ सरक गया है। कांग्रेस उसे वापस जोड़ने के लिए प्रयासरत है। जहां तक मराठी का सवाल है खडसे महाराष्ट्र की सीमा से सटे गुलबर्गा के हैं और अच्छी मराठी बोलते-समझते हैं। अत: उन्हें महाराष्ट्र के नेताओं और पदाधिकारियों से संवाद साधने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
कांग्रेस मुख्यालय, दिल्ली के 24 अकबर रोड में कार्यरत कांग्रेस के एक बड़े नेता ने बताया कि महाराष्ट्र कांग्रेस में इतनी गुटबाजी है कि रोज दर्जनों शिकायतें आती हैं। खड़गे जैसे वरिष्ठ और बुजुर्ग नेता के प्रभारी बनने के बाद इस गुटबाजी पर अकुंश लगाया जा सकेगा। इस नेता ने कहा, ‘2019 में महाराष्ट्र हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यूपी की 80 सीटों के बाद सबसे ज्यादा 48 लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में हैं। महाराष्ट्र में किसानों, मजदूरों, युवाओं और मध्य वर्ग में बीजेपी को लेकर गुस्सा है उसे देखते हुए लगता है कि हम बीजेपी को कड़ी टक्कर दे पाएंगे।’