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बाढ़ में लिफ्ट देना पड़ा महंगा, मुंबई के नितिन को देना पड़ा जुर्माना

मुंबई
मुंबई की बाढ़ में फंसे कुछ लोगों को लिफ्ट देना नितिन नायर नामक युवक को महंगा पड़ गया। जानकारी के मुताबिक, नितिन पिछले हफ्ते ही कहीं से लौट रहे थे, तभी उन्हें रास्ते में कुछ लोग मिले जो बारिश में फंसे हुए थे। लोगों को मुश्किल में देख नितिन ने उन्हें अपनी गाड़ी में लिफ्ट दे दी। गाड़ी में लोगों को बैठाने को लेकर मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने उनका चालान काट दिया।
यह पूरा मामला तब सामने आया जब नितिन द्वारा इस घटना में लिखी गई फेसबुक पोस्ट वायरल हो गई। नितिन के मुताबिक, उन्हें 1500 रुपये का जुर्माना देने के बाद अपना लाइसेंस लेने के लिए जगह-जगह के चक्कर भी लगाने पड़े। नितिन के मुताबिक, उन्होंने एक बुजुर्ग नागरिक के साथ दो अन्य लोगों को लिफ्ट देकर उनकी मदद की थी।

नितिन ने फेसबुक पर पोस्ट लिख बयां किया दर्द
अपनी फेसबुक पोस्ट के बारे में हमारे सहयोगी से बात करते हुए कहा, ‘मेरा उद्देश्य लोगों की मदद करना था लेकिन बदले में मुझे ये सब मिला। अगर हमारे देश में ऐसे कानून हैं तो सड़क पर मर रहे लोगों की भी कोई मदद नहीं करेगा।’ बता दें कि मोटर वीइकल ऐक्ट की धारा 66 (1) और धारा 192 (A) के तहत नितिन पर जुर्माना लगाया गया। इस नियम के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति पर्सनल कार का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन के लिए नहीं कर सकता है। अपनी कार में बाहरी लोगों को बिठाकर ले जाने के लिए ट्रांसपोर्ट लाइसेंस की जरूरत होती है।

यह घटना 18 जून की बताई जा रही है। नितिन के मुताबिक, वह अंधेरी स्थित अपने ऑफिस के लिए जा रहे थे और जोरदार बारिश हो रही थी। उन्हें रास्ते में दो लोग दिखाई दिए, इन लोगों ने गांधीनगर तक के लिए लिफ्ट मांगी तो नितिन ने हां कर दी। नितिन ने कहा, ‘इन दोनों के अलावा मैंने एक 60 वर्षीय बुजुर्ग को भी लिफ्ट दी। इतने में ट्रैफिक पुलिस के कुछ लोग आए और मेरी कार की तस्वीरें खींचने लगे। पुलिस ने मुझे बताया कि अनजान लोगों को मदद करना गैरकानूनी है।’

अकसर लोग पर्सनल गाड़ियों में लिफ्ट देकर लेते हैं पैसे
नितिन ने आगे कहा, ‘टी-परमिट वाली गाड़ियां लोगों को लिफ्ट दे सकती हैं और उनसे पैसे भी ले सकती हैं। ऐप बेस्ड कैब कंपनियां भी यही करती हैं। ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को लगा कि मैं भी लोगों से पैसे ले रहा हूं। हालांकि, इस बारे में मेरी गाड़ी में बैठे लोगों से नहीं पूछा तक नहीं गया।’ उन्होंने कहा, ‘इस कानून को बनाने के पीछे दो कारण हैं। कार की सुरक्षा और बिना टी-परमिट के भी लोग सवारियां बैठाते हैं।’

नितिन ने आगे बताया, ‘मुझे शुक्रवार को छुट्टी लेनी पड़ी और कोर्ट में इस तरह पेश होना पड़ा, जैसे मैं कोई अपराधी हूं। जज ने मेरा नाम पूछा और जुर्माने की राशि में 500 रुपये की छूट दी, जिसके बाद मुझे 1500 रुपये जमा करने पड़े और थाने जाकर लाइसेंस मिला।’

डेप्युटी कमिश्नर ने कहा, ‘मदद करने पर नहीं लगना चाहिए जुर्माना’
नवी मुंबई के डेप्युटी कमिश्ननर (ट्रैफिक) नितिन पवार ने कहा, ‘मैं इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार कर रहा हूं, इसके बाद जरूरी कार्रवाई की जाएगी। शुरुआती तौर पर यही लगता है कि कोर्ट ने जुर्माना लगाया है तो सभी पहलुओं पर सोच-विचार किया गया होगा। मैंने अपने साथियों को भी सेक्शन मोटर वीइकल ऐक्ट की धारा 66/192 के अंतर्गत चालान करने से पहले तथ्यों और उद्देश्य को चेक करने को कहा है। अगर कोई किसी की मदद कर रहा है तो हमें उसे बढ़ावा देना चाहिए और उसपर जुर्माना नहीं लगना चाहिए।’

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