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छोटे दुकानदारों की आमदनी पर पड़ा फर्क, धंधा में ग‍िरावट

मुंबई
महानगर में प्लास्टि बैन का असर खुदरा व्यापारियों और छोटे होटलों पर देखने को मिला। दुकानदारों के अनुसार, वैकल्पिक व्यवस्था मौजूद न होने से धंधे में खासी गिरावट आई है। आम दिनों की तुलना में काम-धंधे में 40 से 50 प्रतिशत की कमी आई है। इतना ही नहीं, दुकानदारों ने तो पार्सल देना ही बंद कर दिया है। इससे आम लोगों को सोमवार के दिन चाय की चुस्की तक के लिए कार्यालयों से बाहर निकल कर जाना पड़ा। बता दें कि बीएमसी द्वारा मुंबई महानगर में प्लास्टिक बैन कर इसका उपयोग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। सोमवार को कई जगहों पर बीएमसी की टीम ने बैन प्लास्टिक पदार्थों की जांच की। साथ ही दुकानदारों पर कार्रवाई की। इसमें कई जगहों पर बीएमसी को इसका विरोध तक झेलना पड़ा।

सांभर, दाल और शरबत पार्सल बंद
मुंबई महानगर में स्थित छोटे भोजनालयों, चाय की दुकानों और जूस सेंटरों ने प्लास्टिक बैन होने और अन्य वैकल्पिक साधन न होने के कारण पार्सल देना ही बंद कर दिया। दुकानदारों से जब ए‌नबीटी संवाददाता ने बात की, तो उन्होंने बताया कि यदि हम पार्सल के लिए जो पदार्थ बैन नहीं हैं, उसका उपयोग करेंगे, तो ये पदार्थ महंगे होने के कारण हमारी जेब पर भी असर पड़ेगा। यदि हम इसकी लागत ग्राहक से वसूलने के लिए खाने के दाम बढ़ाते हैं, तो ग्राहकों की जेब पर असर पड़ेगा। इसके लिए हमने द्रव्य पदार्थों के पार्सल ऑर्डर बंद कर दिए हैं। इसका सीधा असर हमारी रोजाना की आमदनी पर पड़ा है। रोजाना जहां धंधा 20,000 से 40,000 का होता था, वहीं अब सीधे 25000 पर आ गया है।

सूखे पदार्थों के लिए पेपर पैकेट का इस्तेमाल
छत्रपति शिवाजी महराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन के पास स्थित खाउ गली में जब एनबीटी ने छोटे दुकानदारों से बात की, तो उन्होंने बताया कि सुबह के समय होने वाला धंधा, जिसमें चाय, इटली सांभर के शरबत पार्सल करने के ऑर्डर अधिक आते थे, उन्हें पूरी तरह मना करना पड़ा। क्योंकि पार्सल देने के लिए किसी प्रकार की सुविधा हमारे पास नहीं थी। इसके अलावा रोजाना के धंधे में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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