नई दिल्ली
गुरुवार को सचिन तेंडुलकर राज्यसभा में पहली बार भाषण देने उठे थे लेकिन सदन में हंगामे के चलते ऐसा नहीं हो पाया। सचिन ने अपनी बात कहने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के मनोनीत सांसद सचिन ने अपने फेसबुक अकाउंट और यूट्यूब पर अपनी स्पीच अपलोड कर देश को अपना विजन बताने की कोशिश की है। सचिन की यह स्पीच करीब 15 मिनट लंबी है।इस विडियो में सचिन ने स्वस्थ भारत का अपना विजन शेयर किया है। इस महान बल्लेबाज ने बताया कि भारत को स्पोर्ट्सिंग नेशन बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि भारत सिर्फ खेल को पसंद करने वाला देश नहीं बल्कि खेल खेलने वाला देश बनाना चाहते हैं।विडियो की शुरुआत करते हुए सचिन कहते हैं, ‘मैं अक्सर सोचता हूं मुझे क्या चीज यहां लाई। फिर मैं पाता हूं कि क्रिकेट के मेरे बेबी स्टेप मेरे यहां होने का कारण हैं। और इस खेल ने मुझे मेरे जीवन के सबसे यादगार पल दिए हैं। मैं हमेशा खेल खेलना पसंद करता हूं और क्रिकेट मेरा जीवन है।’
तेंडुलकर अपने पिता का जिक्र करते हुए कहते हैं, ‘मेरे पिता प्रो. रमेश तेंडुलकर एक कवि थे और एक लेखक भी थे। उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया और जिंदगी में जो मैंने करना चाहा, उसमें मुझे प्रोत्साहित किया। जो सबसे खास तोहफा उन्होंने मुझे दिया, वह था ‘खेलने की आजादी और खेलने का अधिकार। मैं हमेशा उनका आभारी रहूंगा।
उन्होंने कहा, ‘ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर हमें ध्यान देने की जरूरत है- आर्थिक विकास, गरीबी, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य। एक खिलाड़ी होने के नाते मैं खेल, स्वास्थ्य और फिटनेस पर बात करूंगा जो हमारी इकॉनमी पर भी असर डालते हैं। मेरा विजन हेल्दी और फिट इंडिया। जब स्वस्थ युवा, तब देश में कुछ हुआ।
‘रेकॉर्डों के बादशाह’ सचिन ने कहा, ‘साल 2020 तक भारत देश इस दुनिया में औसत उम्र के मामले में सबसे युवा देश बनने की ओर अग्रसर है और माना जाता है कि ये यंग है तो फिट है लेकिन हम गलत हैं। देश में डायबिटीज से प्रभावित 7.5 करोड़ से ज्यादा लोग हैं और जब बात मोटापे की आती है तो भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आता है। इन बीमारियों का बोझ देश के आर्थिक विकास में भी रोडा बन रहा है।’
सचिन ने कहा, ‘हमारी फिटनेस के सेशन कुछ लाइट होते जा रहे हैं जबकि खाने के सेशन बढ़ते जा रहे हैं। हमें यह आदत बदलनी चाहिए। मुझे लगता है कि इस मोबाइल फोन के जमाने में हम सब स्थिर (Immobile) होते जा रहे हैं। हम में से कई लोग सिर्फ चर्चा करते हैं बल्कि खेलते नहीं हैं। हमें खेल को पसंद करने वाले देश से बदलकर खेलने वाले देश (Sport Playing Nation) बनने की जरूरत है।’