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डॉन गुरु साटम ने BMC कर्मचारी को दी 2 बिल्डरों की सुपारी

मुंबई
भरत सोलंकी पेशे से बीएमसी में स्वीपर है लेकिन हकीकत में वह अंडरवर्ल्ड डॉन गुरू साटम के लिए काम करता था। मुंबई क्राइम ब्रांच ने गुरुवार को उसके पास से एक पिस्टल जब्त की है, जिससे मुंबई में दो बिल्डरों की हत्या की जानी थी। एक पिस्टल अमोल विचारे नामक आरोपी के पास से भी मिली है। डीसीपी दिलीप सावंत ने शुक्रवार को बताया कि हमने इस केस में कुल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से पिस्टल के अलावा पांच कारतूस और 11 मोबाइल भी जब्त किए गए हैं। भरत सोलंकी ने पूछताछ में बताया कि उसके पिता भी पहले बीएमसी में नौकरी करते थे। उनकी मौत के बाद भरत को यहां नौकरी मिल गई। जिस दूसरे आरोपी अमोल के पास दूसरी पिस्टल मिली, वह 10 साल की सजा काटने के बाद पिछले साल ही जेल से बाहर आया है।

उसने सीनियर इंस्पेक्टर अजय सावंत और सचिन कदम को बताया कि उसके खिलाफ कुल 9 मामले दर्ज हैं। इनमें से तीन हत्या के हैं। अमोल पहले सुरेश मांचेकर गिरोह के लिए काम करता था। इस केस में गिरफ्तार तीसरा आरोपी राजेश आंब्रे उर्फ भाई गुरू साटम के सीधे संपर्क में था। उसके खिलाफ अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में कुल 53 मामले दर्ज हैं। यह केस भी आंब्रे की वजह से ही ओपन हुआ।

पांच साल से उगाही
दरअसल, गुरू साटम मध्य मुंबई के एक बिल्डर से पिछले पांच साल से हफ्ता ले रहा था। इस बिल्डर ने कुल 60 लाख रुपये साटम तक पहुंचाए थे। दिसंबर, 2017 में उसने आखिरी किश्त दी थी। इसके बाद साटम की डिमांड राशि ज्यादा होने लगी। इसीलिए उसने बिल्डर के फोन कॉल्स रिसीव करने बंद कर दिए। उसके बाद आंब्रे ने उसे फोन करके धमकाया और दो दिन पहले उसके दफ्तर भी एक आदमी को भेजा कि ‘भाई’ के कॉल्स क्यों नहीं उठा रहे हो। इसके बाद बिल्डर घबरा गया और क्राइम ब्रांच में शिकायत की।

उसी शिकायत के बाद इंस्पेक्टर अरविंद पवार, राजू सुर्वे, विश्वास पाटील और कल्पेश देशमुख की टीम ने ट्रैप लगाया और फिर एक-एक कर सारे आरोपियों को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि दीपक लोढीया उर्फ सोनी नामक आरोपी पेशे से एस्टेट एजेंट है। वह मुंबई के बिल्डरों की जानकारी और फोन नंबर निकालता था और गुरू साटम को देता था। गुरू साटम की तरफ से ली गई उगाही की रकम विपिन धोत्रे नामक एक अन्य आरोपी को दी जाती थी। वह फिर हवाला से इसे साटम तक पहुंचाता था।

एक डॉन, दो शादियां
गुरू साटम इन दिनों दक्षिण अफ्रीका में रह रहा है, ऐसा गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पता चला है। उसका एक परिवार मुंबई में है, जबकि उसकी दूसरी पत्नी और उससे हुए बच्चे उसी के साथ हैं। वह पहले छोटा राजन के साथ काम करता था। सितंबर, 2000 में बैंकॉक शूटआउट के बाद जब छोटा राजन गिरोह में फूट पड़ी, तब गुरू साटम उससे अलग हो गया और अपना खुद का गिरोह बना लिया।

पिछले कुछ सालों में गुरू साटम की गतिविधियां कम मानी जा रही थीं लेकिन क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार, उसका नाम इसलिए खबरों में नहीं था, क्योंकि बिल्डर उसे उगाही तो दे रहे थे लेकिन पुलिस में शिकायत नहीं कर रहे थे। जिस बिल्डर की शिकायत पर अब वह गिरफ्तार हुआ, वह भी उसे साल 2013 से नियमित रकम पहुंचा रहा था। क्राइम ब्रांच टीम ने बिल्डर से पूछा भी कि इतनी देर से शिकायत दर्ज कराने के पीछे क्या वजह है? तब बिल्डर ने जवाब दिया कि दरअसल, 1995 में किसी दूसरे गैंग ने उस पर गोलियां चलाई थीं, इसलिए वह डरा हुआ था। इसी वजह से वह पुलिस में एफआईआर दर्ज करने में संकोच कर रहा था।

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