मुंबई
मुंबई में ‘अश्लीलता’ रोकने के नाम पर एक भी डांस बार ना खोले जाने का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पूरी तरह ‘मॉरल पुलिसिंग’ की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि आखिर किस आधार पर उन्होंने यह मान लिया कि डांस बार में लड़कियों द्वारा किया जाने वाला डांस अश्लील ही होता है। जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की एक बेंच ने कहा कि समय के साथ अश्लीलता की परिभाषाएं भी बदलती रही हैं। उन्होंने बॉलिवुड फिल्मों का हवाला दिया जिनमें शुरुआती दौर में लव मेकिंग और किसिंग सीन दिखाने का चलन नहीं था और उसकी जगह चिड़ियों या फूलों के जरिए ऐसे सीन को दिखाया जाता था।
बेंच ने कहा कि राज्य सरकार को अधिकार है कि वह ऐसे डांस बारों पर नियंत्रण रखे, लेकिन प्रशासन पहले से ही अगर ऐसी धारणा से काम करेगा कि डांस बारों में सिर्फ अश्लीलता ही होती है तो किसी भी डांस बार को लाइसेंस नहीं मिल पाएगा। कोर्ट ने कहा कि राज्य ने कुछ बारों को तो मंजूरी दी मगर एक भी डांस बार को मंजूरी नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा, ‘आपने डांस बार खोलने को लेकर आया हर आवेदन नामंजूर कर दिया। यह राज्य में पूरी तरह मॉरल पुलिसिंग है। अश्लील डांस के बहाने आपने किसी भी डांस बार को लाइसेंस नहीं दिया।’
हालांकि महाराष्ट्र सरकार द्वारा डांस बारों पर की गई सख्ती जैसे- शराब परोसने पर बैन, सीसीटीवी कैमरे लगाने का बचाव करते हुए सीनियर वकील शेखर नेफाड़े और महाराष्ट्र के स्टैंडिंग काउंसल निशांत कटनेशवरकर ने कहा कि अश्लीलता रोकने के लिए ही ऐसे नियम बनाए गए थे। उन्होंने साथ ही कहा कि पारिवारिक मूल्यों वाला कोई भी व्यक्ति ऐसी जगहों पर नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि अश्लीलता को समाज के नजरिए के आधार पर देखना चाहिए।
इस पर बेंच ने कहा कि नजरिया समय के साथ बदलता रहता है। बेंच ने कहा कि आजकल लिव-इन रिलेशनशिप का भी चलन है और मां-बाप भी ऐसे रिश्तों को अब मानने लगे हैं। कोर्ट डांस बार के मालिकों के असोसिएशन की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। असोसिएशन ने महाराष्ट्र सरकार के महाराष्ट्र प्रोहिबिशन ऑफ ऑबसीन डांस इन होटल्स, रेस्ट्रॉन्ट्स ऐंड बार रूम्स ऐंड प्रोटेक्शन ऑफ डिग्निटी ऑफ विमिन ऐक्ट, 2016 को चुनौती दी थी। नए कानून के मुताबिक राज्य में ऐसे किसी भी बार या होटल में शराब नहीं परोसी जाएगी जहां लड़कियां डांस करती हैं। बार सिर्फ शाम 6:30 से रात 11:30 तक ही खुल सकते हैं।
बार मालिकों की तरफ से सीनियर वकील जयंत भूषण और निखिल अय्यर ने कहा कि ऐसे नियम बार गर्ल्स और बार मालिकों को उनका काम करने से रोकने के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन नए नियमों ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी उल्लंघन किया है जिसके तहत कोर्ट ने बार गर्ल्स और बार मालिकों को काम करने की स्वतंत्रता दी थी। राज्य सरकार ने अपने ऐफिडेविट में कहा कि ये बार वेश्यावृत्ति के लिए इस्तेमाल हो रहे थे, ऐसे में राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी कि इन पर लगाम लगाई जाए।