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लाश को लेकर ऐसे बैठा रहा कि सबको लगा कोई प्रेमी जोड़ा रोमांस कर रहा है

प्यार में अगर खून के धब्बे नहीं हों तो रोमांचक लव स्टोरी नहीं बनती. ऐसी ही एक लव स्टोरी तब बनी जब मुंबई में एक लड़की को जिस लड़के से प्यार था, उसी ने उसे खून में सराबोर कर लव स्टोरी को हेट स्टोरी में बदल दिया. इस आशिक ने किसी फौरी गुस्से में ऐसा नहीं किया बल्कि पूरी साज़िश रची, एक साथी को शामिल किया और रेकी करने के बाद कत्लगाह चुनी. तसल्ली से कत्ल के बाद मासूम होने का पूरा नाटक भी किया.करीब एक साल पहले रेशमा की मुलाकात सलमान से हुई थी. मुंबई के काला घोड़ा में एक कॉफी शॉप में काम करती थी रेशमा और चूंकि सलमान एक फूड सप्लाई कंपनी में काम करता था इसलिए वह अक्सर ऐसी शॉप्स और रेस्टॉरेंट्स में जाता रहता था. पहले पहल इसी सिलसिले में दोनों मिले लेकिन दोनों के बीच जल्द ही लगातार मिलने का सिलसिला चल पड़ा और फिर दोनों एक दूसरे के काफी करीब आते चले गए.

दोनों ही सामान्य परिवारों से ताल्लुक रखते थे इसलिए दोनों के पास रुपयों पैसों की हमेशा तंगी रहा करती थी या तंगी न भी हो तो ज़रूरत बनी रहती थी. ऐसे ही किसी काम के लिए सलमान कभी रेशमा को कुछ रकम देता तो कभी रेशमा उसे उधार दे देती. रेशमा के परिवार में बूढ़े मां-बाप और तीन बहनें थीं और सब एक छोटे से मकान में साथ रहा करते थे. इधर, खूबसूरत और नौजवान रेशमा की कामकाजी ज़िंदगी में कई लोग थे जिनसे वह खुलकर और हंसकर बातचीत किया करती थी.

रेशमा के इस बिंदास बर्ताव को देखकर सलमान अक्सर टोकता रहता था लेकिन रेशमा यही कहती कि उसके लिए वह जीना या अपना नेचर नहीं छोड़ सकती. सलमान के बेबुनियाद शक को लेकर कभी कभी दोनों के बीच खासी बहस भी हो जाती. इसी तरह चल रहे रिश्ते में एक मोड़ तब आया जब रेशमा की अम्मी की सेहत बिगड़ी और महंगा इलाज करवाने की नौबत आ गई. उसने सलमान से मदद मांगी.
दोनों के बीच बातचीत हुई और बहस में बदलती गई. रेशमा की बातों से सलमान के ज़ेह्न में शक पैदा हो गया. प्यार के रिश्ते में जब शक दाखिल होता है तब किसी न किसी जुर्म का दरवाज़ा खुल जाता है. कुछ दिनों तक रेशमा की मांगी हुई रकम जुटाने की कोशिश सलमान करता रहा लेकिन वह ईमानदारी से कोशिश नहीं कर रहा था. दूसरी तरफ, रेशमा ने सलमान से दूरी बनाना शुरू की क्योंकि वह उसकी मदद नहीं कर रहा था और रेशमा अपनी उलझनों में बिज़ी थी.

सलमान के साथियों ने नमक मिर्च लगाकर उसे बताया कि रेशमा किसी और आदमी के साथ इन्वॉल्व हो गई है. सलमान ने एकाध बार उस कॉफी शॉप के आसपास रेशमा को किसी आदमी के साथ बातचीत करते हुए खुद भी देखा. सलमान को जो शक था, वह और गहरा घर कर गया. अब सलमान परेशान था तभी उसकी मुलाकात ज़ाहिद से हुई. ज़ाहिद सलमान के रिश्ते का मामू था और वह उल्टे सीधे धंधों में रहता था. ज़ाहिद ड्रग्स का शिकार भी था.

मन ही मन सलमान स्कीम तैयार कर रहा था कि वह ज़ाहिद को कैसे इस्तेमाल कर सकता है. अब ज़ाहिद से सलमान रोज़ाना मिलने लगा और उसने कुछ ही दिनों में ज़ाहिद का भरोसा हासिल कर लिया. ज़ाहिद को ड्रग्स के लिए सलमान दो चार बार पैसे भी दे चुका था तो ज़ाहिद उसके और करीब आ गया था. अब सलमान ने एक दिन ज़ाहिद से कहा –
सलमान ने बड़ी चालाकी से यह बात छुपा ली थी कि खून किसका करना है. ज़ाहिद इतनी रकम के लिए राज़ी हो गया और उसने स्कीम पूछी. सलमान ने कहा कि स्कीम धीरे-धीरे सामने आएगी और सलमान ने उसे 100 रुपये दिए ताकि वह अपनी ड्रग्स ‘म्याउ म्याउ’ यानी मेफेड्रोन की गोलियां ले सके. ज़ाहिद अब आंखें मूंदकर सलमान के साथ था और अब सलमान को अपनी स्कीम का हर दांव बड़ी होशियारी से खेलना था.

अगले दिन सलमान चर्चगेट के पास ओवल मैदान गया और उसने ज़ाहिद को एक तरफ जायज़ा लेने के लिए बोला और खुद दूसरी तरफ जाकर देखने लगा. मैदान के हर कोने के पास माहौल समझ लेने के बाद सलमान ने अगले दिन शाम का वक्त तय किया और ज़ाहिद को कुछ बातें समझाकर हिदायतें दीं. अगले दिन यानी पिछली 30 जुलाई को सलमान ने रेशमा को फोन किया और उससे ओवल मैदान के एक स्पॉट पर आकर मिलने को कहा.

सलमान से रेशमा मिलना नहीं चाहती थी लेकिन सलमान ने उसके फायदे की बात करते हुए किसी तरह मिलने पर राज़ी कर लिया था. शाम 8 बजे का वक्त मुकर्रर हुआ. शाम 8 बजे ओवल मैदान के उसी स्पॉट पर सलमान और रेशमा मिले. दोनों की बातचीत कुछ ही मिनटों में बहस में बदल गई और रेशमा अब सलमान को ताने सुना रही थी और उस पर गुस्सा हो रही थी. सलमान को यह बात नागवार गुज़र रही थी और वह भी तैश में आ रहा था.

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