मुंबई : मुंबई में कोकीन, हेरोइन, एमडी ड्रग्स की जब्ती जब-तब होती रहती है, पर जांच एजेंसियों को पता चला है कि कॉलेज स्टूडेंस के बीच इन दिनों दुनिया की सबसे महंगी ड्रग- एमडीएमए भी बहुत डिमांड में है। ऐसी ही 14 ग्राम एमडीएमए को सोमवार को वी पी रोड से जब्त किया गया। डीसीपी शिवदीप लांडे के अनुसार, हमने इस केस में 56 साल के सलीम खान को गिरफ्तार किया है। वह वी पी रोड की खालसा लेन में एक झोपड़ी में रहता था।
जांच में पता चला है कि वह किसी कॉलेज स्टूडेंट को यह ड्रग देने आया था। पुलिस उसके ग्राहकों की शिनाख्त कर रही है। आजाद मैदान ऐंटि नार्कोटिक्स सेल के प्रभारी इंस्पेक्टर संतोष भालेकर ने बताया कि सलीम पिछले कई सालों से नशे के इस कारोबार में है। उनके अनुसार, एमडीएमए ड्रग की प्रति ग्र्राम कीमत करीब दस हजार रुपये है। अमूमन कोकीन बाजार में 6 से 7 हजार रुपये प्रति ग्राम बेची जाती है। एमडी ड्रग का मार्केट रेट एक ग्राम का करीब दो हजार रुपये है। इसीलिए नशा कारोबारी दुनिया की सबसे महंगी ड्रग्स में से एक एमडीएमए को तब ही लेकर आते हैं, जबकि इसकी किसी कस्टमर द्वारा खासतौर पर डिमांड की जाती है।
रेव पार्टी में ज्यादा डिमांड
क्राइम ब्रांच अधिकारियों का कहना है कि चूंकि यह ड्रग बहुत ही महंगी होती है और चूंकि इसकी डिमांड कॉलेज स्टूडेंट्स के बीच ही सबसे ज्यादा है, इसलिए वे ही छात्र इसकी ज्यादा डिमांड करते हैं, जिन्हें महीने का जेब खर्च ही लाख-दो लाख रुपये से ज्यादा मिलता हो। इस अधिकारी के अनुसार, अमूमन कॉलेज छात्र जब किसी रेव पार्टी का आयोजन करते हैं, उससे पहले यह ड्रग मंगा कर रखते हैं। एमडीएमए ड्रग का नशा इतना ज्यादा होता है कि एक ग्राम से भी कम से कम एक दर्जन पुड़िया बनाई जाती हैं। ड्रग लेने के बाद कॉलेज छात्र करीब 10 से 12 घंटे तक नशे की खुमारी में रहता है। 9 महीने पहले एक नाइजीरियन विन्सेंट ओमान के पास यह ड्रग जब्त की गई थी। सोमवार को गिरफ्तार सलीम खान ने बताया कि उसने भी यह ड्रग किसी नाइजीरियन से ही ली है। उसे प्रति ग्राम ड्रग पर दो से तीन हजार रुपये कमिशन मिलना था। लेकिन उसने अभी तक उस नाइजीरियन का नाम जांच एजेंसियों को नहीं बताया।
भूख होती है कम
दक्षिण मुंबई में कई ऐसे कॉलेज हैं, जहां बहुत ही हाई-फाई फैमिली के बच्चे पढ़ते हैं। पुलिस को शक है कि इन्हीं में से कुछ ड्रग्स का लगातार सेवन करते हैं। एमडीएमए पूरी जरह से एक सिंथेटिक दवा है, जिसे 1912 में जर्मन कंपनी मर्क ने भूख दमन के रूप में उपयोग के लिए बनाया था। 1980 के दशक में यह दवा एक मनोरंजक दवा के रूप में लोकप्रिय हो गई। बाद में नाइट क्लब पार्टी और रेव पार्टी में इसकी मांग सबसे ज्यादा बढ़ने लगी।