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महाराष्ट्र में निर्माण पर लगी रोक हटी

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के तहत नीति तैयार न करने के कारण कई राज्यों के कंस्ट्रक्शन पर रोक पर बुधवार को सुनवाई के बाद उत्तराखंड और महाराष्ट्र सरकार की गुहार पर इन दोनों राज्यों में निर्माण कार्य पर लगी रोक हटा दी।
सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को महाराष्ट्र और उत्तराखंड सहित कई राज्यों द्वारा कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी थी। इसी दौरान उत्तराखंड सरकार की ओर से अर्जी दाखिल करके कहा गया कि राज्य में बड़ी संख्या में भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं और कई कृत्रिम तलाब बन गए हैं। ऐसे में निर्माण कार्य पर लगी रोक हटाई जानी चाहिए। साथ ही कहा कि नीति तैयार कर ली गई है और जल्द ही कैबिनेट के सामने रखी जाएगी। अदालत में महाराष्ट्र सरकार की ओर से भी कंस्ट्रक्शन पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई गई। महाराष्ट्र सरकार की ओर से कहा गया कि उनके यहां ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के तहत नीति तैयार है। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को राहत देते हुए निर्माण पर रोक हटा दी है। रियल इस्टेट इंडस्ट्री के लिए बैन हटने की खबर बहुत राहत वाली है। महाराष्ट्र सरकार ने अदालत के सामने घन कचरा प्रबंधन संबंधी नीति और नियम तुरंत पेश किए, जिसके बाद यह संभव हो सका।
महाराष्ट्र में निर्माण कार्य से भले ही रोक हट गई हो, लेकिन अभी सर्वोच्च न्यायालय में दूसरे मामले की सुनवाई होनी बाकी है। मुंबई में निर्माण कार्य के मलबे के कुप्रबंधन को लेकर कुछ महीने पहले मिली राहत की अवधि समाप्त हो रही है। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया, ‘सर्वोच्च न्यायालय ने हमें मार्च में 6 महीने की राहत दी थी। अब इस महीने उसकी हो सकती है। हम अदालत के सामने पूरी रिपोर्ट रखेंगे।’
कैसे लगी थी रोक
सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त को कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र सहित कई राज्य ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत अभी तक नीति तय नहीं कर पाए हैं• इसके लिए दो साल से कवायद चल रही है और कुछ नहीं हुआ• अगर यह सरकार चाहती है कि लोग गंदगी में रहें और कूड़े के बीच में जीवन बसर करें, तो क्या किया जा सकता है

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