मुंबई।अहम मामलों की सूचनाएं प्रेस को दिए जाने पर गुरुवार को महाराष्ट्र पुलिस एवं सीबीआइ को बांबे हाई कोर्ट की फटकार झेलनी पड़ी। कोर्ट ने यह फटकार दाभोलकर एवं पनसारे हत्याकांड से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए लगाई।
न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी एवं जस्टिस बीपी कुलाबावाला की पीठ नरेंद्र दाभोलकर एवं गोविंद पनसारे के परिजनों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका कोर्ट की निगरानी में जांच कराए जाने को लेकर दायर की गई है।
गुरुवार को दाभोलकर मामले की प्रगति रिपोर्ट सीबीआइ एवं पनसारे मामले की प्रगति रिपोर्ट सीआइडी ने पेश की। इसको देखने के बाद पीठ ने कहा कि इन महत्वपूर्ण मामलों से जुड़ी सूचनाएं रोज मीडिया को लीक की जा रही हैं। यह अतिउत्साह घातक हो सकता है। जस्टिस धर्माधिकारी ने सवाल किया कि रोज अखबारों में ऐसे महत्वपूर्ण मामलों से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिल रही हैं। ये किसके द्वारा दी जा रही हैं?
हालांकि गुरुवार की सुनवाई का माओवादियों से रिश्ते के आरोप में गिरफ्तार कुछ वामपंथी कार्यकर्ताओं के मामले से कोई संबंध नहीं था। इसके बावजूद जस्टिस धर्माधिकारी ने पिछले सप्ताह इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक परमबीर सिंह द्वारा की गई प्रेस कांफ्रेंस का उल्लेख किया।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस द्वारा किए गए खुलासे पर काफी हो-हल्ला मच रहा है। यह पूरी तरह से अपरिपक्वता दर्शाता है। पुलिस द्वारा इस प्रकार अपनी प्रशंसा करना कतई उचित नहीं कहा जा सकता। न्यायमूर्ति ने सीबीआइ की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल सिंह से कहा कि ऐसी प्रेस कांफ्रेंस करनेवाले पुलिस अधिकारियों से कहिए कि वे स्वयं कोर्ट में आकर देखें कि आरोपियों को सजा दिलवाना कितना मुश्किल होता है।