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दिल्ली में पहली बार पेट्रोल पहुंचा 80 रुपये के पार, मुंबई भी तेल की मार से पस्त

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हुए इजाफे का नुकसान पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने के तौर पर देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। आलम यह है कि बढ़ती कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंची चुकी हैं। शनिवार (8 सितंबर) को देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम में 39 पैसे की बढ़ोतरी हुई है।

वहीं डीजल की कीमतों में 44 पैसों की बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद अब दिल्ली में पेट्रोल 80 रुपये के पार बिक रहा है। दिल्ली में ऐसा पहली बार हुआ है कि पेट्रोल की कीमतें 80 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंची हैं। वहीं, मुंबई में अब पेट्रोल 87 रुपये 77 पैसे और डीजल 76 रुपये 90 पैसे लीटर की कीमत पर बिक रहा है। कोलकाता में पेट्रोल-डीजल क्रमशः 39 पैसे और 44 पैसे बढ़कर क्रमशः 83.27 रुपये और 75.36 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहे हैं। एक अन्य महानगर चेन्नै में पेट्रोल-डीजल के भाव क्रमशः 83.54 रुपये और 76.64 रुपये प्रति लीटर हैं। आज पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के लिहाज से चेन्नै सबसे टॉप पर रहा है। यहां पेट्रोल 41 पैसे जबकि डीजल 47 पैसे महंगा हो गया है।
कांग्रेस हुई हमलावर, केंद्र सरकार पर साधा निशाना
उधर, कांग्रेस ने एक बार फिर पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और डॉलर के मुकाबले रुपये के अब तक के सबसे निचले स्तर पर चले जाने को लेकर शनिवार केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की जनता को बताना चाहिए कि उनकी सरकार विफल है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वह कर दिखाया जो 70 साल में नहीं हुआ। 70 वर्षों में पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर की कीमत सर्वाधिक स्तर पर है। रुपया 72 तक पहुंच गया।

पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत के खिलाफ कांग्रेस का हल्लाबोल
यहां पर बता दें कि पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस ने 10 सितंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। कांग्रेस ने मांग की है कि सरकार पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए, जिससे इनकी बढ़ती कीमतों पर लगाम लग सके। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि इस बंद में वह लोगों के सामने मोदी सरकार की नाकामियों की पोल खोलेगी। सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। नोटबंदी ने आर्थिक मोर्चे पर सबसे बड़ा आघात किया है, जिसकी कीमत बढ़ती महंगाई के रूप में झेल रहा है।

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