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सम्मेत शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध

मुंबई : जैन धर्म के प्रमुखतम तीर्थ सम्मेत शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु की जा रही झारखंड सरकार की कोशिशों का देश भर में व्यापक विरोध शुरू हो गया है। झारखंड के गिरिडीह जिले के मधुबन स्थित पारसनाथ पर्वत शिखर में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर तपस्या करते हुए मोक्ष को प्राप्त हुए थे। जैन आचार्यों व समाज के अग्रणी लोगों द्वारा इसे धार्मिक आस्था पर प्रहार बताया जा रहा है।
महाराष्ट्र भाजपा के उपाध्यक्ष विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास को पत्र लिखकर कहा है कि सम्मेत शिखरजी की पवित्रता, गरिमा एवं दुनिया भर के लाखों लोगों की धार्मिक भावना का खयाल रखते हुए तीर्थ को पर्यटन स्थल के रूप में न विकसित करके गरिमामय धर्मस्थल ही बने रहने देना चाहिए। सम्मेत शिखरजी पर दर्शन के लिए पूरे 16 किलोमीटर की पूरी चढ़ाई धर्मावलंबी बिना जूते चप्पल पहने तय करते हैं। धार्मिक पवित्रता के नाम पर मुगलों और अंग्रेजों के काल में भी सम्मेत शिखरजी की पवित्रता अक्षुण्ण बनी रही। ऐसे पावन तीर्थ में पर्यटन विकास से उसकी गरिमा, महत्ता, अस्मिता एवं आस्था को ठेस लगेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की इस आशय की घोषणा से पहले ही शिखरजी तीर्थ एवं पारसनाथ के आसपास शराब और मांसाहार की दुकानें खुल गई है। कुछ समय पूर्व शिखरजी में हैलीपैड का निर्माण भी कराया गया है। सुरक्षा बल की चौकियां भी बनाई गई हैं।

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