लोकसभा की 40 सीटों में से आधी मांगीं थीं नीतीश ने समय कम, काम ज्यादा
नई दिल्ली : तमाम अनुमानों और अटकलों पर विराम लगाते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी। पटना में हुई पार्टी की मीटिंग में बिहार के सीएम और पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किया। इस दौरान नीतीश ने कहा कि प्रशांत किशोर भविष्य हैं। उनके बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में ऐसा संदेश गया कि पार्टी में उनकी हैसियत बहुत मजबूत होगी। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार जल्द ही प्रशांत किशोर (पीके) को सरकार में भी शामिल कर सकते हैं और आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उनका अहम रोल हो सकता है।
नीतीश के तीर को मिली प्रशांत किशोर की धार
आगामी लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले आखिरकार बिहार में भाजपा और जेडीयू के बीच सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई है। दरअसल, इस मसले पर दोनों पार्टियां काफी लंबे वक्त से विचार कर रही थीं। कई बार दोनों दलों के नेताओं की बीच मतभेद देखने को मिले। वक्त-वक्त पर खबरें आती रहीं कि जेडीयू ने 40 में से 25 सीटें मांगी हैं और अगर भाजपा इस पर राजी नहीं हुई तो वह फिर से अकेले चुनाव लड़ेगी। आखिर रविवार को इस मसले को सुलझा लिया गया। जेडीयू नेता आरसीपी सिंह ने बताया कि इसके बारे में जल्द ही कोई आधिकारिक सूचना दी जाएगी।
वर्ष 2014 में नीतीश कुमार एनडीए के साथ नहीं, बल्कि अकेले लड़े थे। एनडीए में भाजपा, एलजेपी, आरएलएसपी और उस समय जीतनराम मांझी की ‘हम’ शामिल थी। भाजपा 29 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से 22 पर उसे जीत मिली, एलजेपी 7 पर लड़ी और 6 पर जीती। वहीं, आरएलएसपी 4 पर लड़ी और उसे 3 सीटों पर जीत मिली।
इस हिसाब से 2014 में एनडीए के खाते में 32 सीटें आईं थी। जेडीयू ने अकेले चुनाव लड़ा और 40 में से सिर्फ 2 पर जीत मिली थी। तेजस्वी यादव नीतीश कुमार की वापसी के खिलाफ रहे हैं। प्रशांत किशोर इन दोनों की बातचीत में नीतीश कुमार के दूत की तरह काम करते रहे। अब पार्टी में औपचारिक तौर पर शामिल होने के बाद उनके पास काम के लिए बहुत समय भी नहीं है।
पीके की चुनौती शुरू
प्रशांत किशोर ऐसे समय जेडीयू में शामिल हुए हैं, जब नीतीश के सामने एक बार फिर मजबूत वजूद बचाए रखने की चुनौती है। आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के अंदर भाजपा से सीट बंटवारे को लेकर पिछले कुछ महीनों से कशमकश जारी है।
पीके का लंबा अनुभव
प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के ही हैं. वह पूर्व में यूएन से जुड़े रहे हैं. उन्होंने भारत में पहली बार नरेंद्र मोदी के साथ काम किया था, तब मोदी गुजराज के सीएम थे. बाद में उन्होंने यूपी और पंजाब में कांग्रेस के चुनावी अभियान को संभाला था